माघ अमावस्या , कलियुग वर्ष ५११४
सनातनके आश्रमका कार्य पारदर्शक होते हुए भी कुंभमेलेमें रामनाथी आश्रमके विषयमें जानकारी प्राप्त करनेका प्रयास करनेवाले अन्वेषण तंत्रके अधिकारी !
विभिन्न तर्क लगाकर कार्यकी पूछताछ करनेवाले हिंदूद्वेषी अन्वेषण तंत्र !
प्रयागराजके कुंभमेलेमें ग्रंथप्रदर्शनीके स्थानपर सेवा करनेवाले सनातनके साधकोंको एक आश्रमके अन्नक्षेत्रमें दो समयका महाप्रसाद दिया जाता है । वहां महाप्रसाद परोसनेवाला व्यक्ति एक साधकसे प्रतिदिन ‘सनातनके गोवाके आश्रममें किस प्रकारका कार्य चलता है ?’, ‘वहां कौन-कौन रहता है ?’ इत्यादि प्रश्न करता था । वह कहता था कि मुझे वह आश्रम देखना है, मुझे आप संपर्क क्रमांक दीजिए, मुझे वहां संपर्क करना है ।’ उस व्यक्तिकी ऐसी बातचीतसे साधकको संदेह हुआ कि वह पुलिस विभागका कोई अधिकारी तो नहीं है । इसलिए वह साधक उस व्यक्तिसे बात करना टालता था । तत्पश्चात जानकारी मिली कि वह व्यक्ति एक अन्वेषण तंत्रका अधिकारी है ।
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात