संस्कृतिरक्षा के लिए हिन्दुओं को ऐसी आंदोलन करने की स्थिति आना शासन के लिए लज्जास्पद ! शासन ऐसे संस्कृतिद्रोही कार्यक्रमों पर स्वयं प्रतिबंध क्यों नहीं लगाता ?
पुणे : पाश्चात्त्य विकृति का उदात्तीकरण करनेवाले सनबर्न फेस्टिवल के विरोध में चांदणी चौक पर बावधन, लवळे तथा परिसर के ग्रामवासी, हिन्दू जनजागृति समिति एवं हिन्दुत्वनिष्ठ संघटनों की ओर से तीव्रता के साथ निषेध आंदोलन चलाया गया। इसमें ‘किसी भी स्थिति में बावधन-लवळे में सनबर्न फेस्टिवल’ होने न देने की चेतावनी दी गई। छत्रपति शिवाजी महाराज के वास्तव्य से पावन बनी तथा विद्या का केंद्र माने जानेवाली पुणे नगरी में मदिरापान एवं अन्य बुरी आदतों को प्रोत्साहित करनेवाले सनबर्न फेस्टिवल को नहीं होने देना चाहिए !
अभी तक इस कार्यक्रम के आयोजकों ने गोवा शासन का, साथ ही पिछले वर्ष महाराष्ट्र शासन का टैक्स डुबोया है और सरकारी नियमों को तोडा है ! ऐसे संस्कृतिद्रोही कार्यक्रमों का आयोजन युवा पीढी को भ्रष्ट बनाने का ही षडयंत्र है !
मान्यवरों ने अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त करते हुए कहा कि शासन ने ही इस कार्यक्रम को नहीं होने देना चाहिए। इस आंदोलन में ग्रामवासी एवं हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताओंसहित ४०० से भी अधिक नागरिक उत्स्फूर्तता से सम्मिलित हुए। (संस्कृतिरक्षा हेतु संघटित होनेवाले ग्रामवासी तथा हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताओं का अभिनंदन ! सर्वत्र के हिन्दुओं ने इसी प्रकार से संघटितता दिखाई, तो ऐसे संस्कृतिहीन कार्यक्रम करने का साहस कोई नहीं दिखा पाएगा ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
उपस्थित मान्यवरोंद्वारा व्यक्त की गई भावनाएं
१. श्री. समीर तांगडे, श्री शिवप्रतिष्ठान हिन्दुस्थान : शासन एक ओर गणेशोत्सव एवं शिवजयंती जैसे उत्सव मनाने के लिए अनेक कठोर नियम बना देती हैं, तो दूसरी ओर सनबर्न फेस्टिवल के आयोजकोंद्वारा अनेक नियमों का उल्लंघन किए जाने के पश्चात भी उस कार्यक्रम को होने देता है ! शासन को जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए पुणे में सनबर्न फेस्टिवल को स्थान नहीं देना चाहिए, अन्यथा और अधिक आक्रमक आंदोलन चलाया जाएगा !
२. श्री. किरण दगडे-पाटिल, पार्षद : हिन्दुओं के त्योहारों के लिए एक न्याय और सनबर्न फेस्टिवल के लिए अलग न्याय क्यों ? हम इस कार्यक्रम का अंततक विरोध करते रहेंगे। उसके लिए चाहे हमें बंदी होना पडे, तो भी चलेगा !
३. श्री. चंद्रकांत वारघडे, सूचना सेवा समिति : सनबर्न फेस्टिवल के आयोजकों ने सभी नियम एवं शर्तों को तोडा है, शासन का टैक्स डुबोया है फिर भी इस कार्यक्रम को होने दिया जा रहा है, इससे यही संदेह उत्पन्न होता है कि आयोजकों ने सभी सरकारी यंत्रणा को ही खरीद लिया है !
४. श्रीमती पियुषा दगडे-पाटिल, सरपंचा, बावधन : मैं बावधन गांव की प्रथम नागरिक (सरपंच) के रूप में इस कार्यक्रम का विरोध कर हमारी संस्कृति को बनाए रखने का प्रयास करूंगी !
५. श्री. पराग गोखले, हिन्दू जनजागृति समिति : भ्रष्टाचार तथा करचोरी की पार्श्वभूमिवाले ऐसे सनबर्न फेस्टिवल को पूरे भारत से ही निकाल बाहर हो जानेतक समितिद्वारा विरोध चलता ही रहेगा !
६. श्री. शंभू गवारे, सनातन संस्था : सनबर्न फेस्टिवल के आज तक हुए कार्यक्रमों में मादक पदार्थों का खुला व्यापार चलता था। शासन स्वयं ही ऐसे कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाए !
उपस्थित मान्यवर
कोथरूड के पार्षद श्री. किरण दगडे-पाटिल, बावधन की सरपंचा श्रीमती पियुषा दगडे-पाटिल, सूचना सेवा समिति के संस्थापक-अध्यक्ष श्री. चंद्रकांत वारघडे, बावधन के पूर्व सरपंच श्री. राहुल दुधाळे, ग्रामंपचायत सदस्य श्री. सचिन दगडे, श्री. आजाद दगडे, श्रीमती वैशाली दगडे, सर्वश्री वैभव मुरकुटे, सचिन धनदुडे, सुनील दगडे, धनंजय दगडे, गणेश कोकाटे, उमेश कांबळे, श्रीमती वैशाली कांबळे, सर्वश्री निळकंठ बजाज, दीपक दुधाणे, नितीन दगडे, लवळे के श्री. विजय शितोळे, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. पराग गोखले तथा सनातन संस्था के श्री. शंभू गवारे
क्षणचित्र
१. इस आंदोलन के कारण यातायात में बाधा न पहुंचे; इसलिए प्रातिनिधिक स्वरूप में २ मिनटों के लिए ‘रास्ता रोको’ आंदोलन किया गया !
२. आंदोलन के समय बडी संख्या में पुलिसकर्मी उपस्थित थे !
३. प्रसारमाध्यमों के ११ प्रतिनिधियों ने आंदोलन का वृत्तांकन किया।
विशेषतापूर्ण
‘पुणेवासियों, आपको आनेवाली पीढी कायर, बुरी आदत के आधीन और देश का अधःपतन करनेवाली चाहिए अथवा राष्ट्र एवं धर्मप्रेमी तथा देश को विकासपथ पर ले जानेवाली चाहिए ?’ यह प्रश्न पूछनेवाला फलक और इस फलक के अनुरूप पाश्चात्त्य कुपरंपरा मदिरापान के अधीन बना एक युवक तथा संस्कृतिपालन तथा धर्माचरण करनेवाला दूसरा युवक’, इस प्रकार के वैशिष्ट्यपूर्ण प्रतिकात्मक सजीव दृश्य उपस्थित लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे थे !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात