माघ शुक्लपक्ष १, कलियुग वर्ष ५११४
इंदौर (मध्य प्रदेश) : बसंत पचंमी पर धार की भोजशाला में प्रवेश को लेकर चल रहे विवाद में काशी सुमेरू पीठ के शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती के शामिल होने के बाद से संत समुदाय एक होने लगा है। इलाहाबाद में कल धर्म संसद की होने वाली बैठक में भोजशाला का मुद्दा भी रखा जाएगा। भोजशाला में बसंत पचंमी पर मां सरस्वती की पूजा-अर्चना के साथ नमाज अदा कराई जाए या नहीं इसे लेकर संत फैसला लेकर रणनीति बनाएंगे।
बताया जाता है कि विश्व हिंदू परिषद व भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से संत समुदाय सहित महामंडलेश्वर व शंकराचार्य काफी नाराज हैं। वजह बसंत पचंमी पर मां सरस्वती की पूजा-अर्चना के बीच भोजशाला में नमाज अता करवाना है। धर्म संसद की बैठक में भोजशाला को लेकर जो भी फैसला होगा उस पर अंतिम मुहर ११ फरवरी को अखिल भारतीय संत परिषद की बैठक में लगेगी। इसमें समस्त अखाड़ों के प्रमुख साधू-संत मौजूद रहेंगे।
यही नहीं हिन्दू धार्मिक आस्था को चोट पहुंचाने पर इलाहाबाद कुंभ में जुटे महामंडलेश्वरों और शंकाराचार्यो ने साधू-संत सहित धार कूच करने की चेतावनी पहले दे रखी है। हालांकि भोजशाला मुद्दे पर संत समुदाय के मैदान में आने पर राज्य सरकार सहित स्थानीय प्रशासन पशोपश में है। आखिर करें तो क्या?
स्त्रोत : पत्रिका