नावडे (पनवेल, महाराष्ट्र) : पूरी लगन, निष्ठा, मनोभाव से तथा दृढता के साथ भक्ति करोगे, तो ही ईश्वर के समिप जाओगे ! भक्तिमार्ग की श्रेष्ठता समझ में आने में ही जीवन का सार्थक है। प.पू. श्री सद्गुरु शांताराम महाराज माऊली ने यह मार्गदर्शन किया। श्री सद्गुरु शामदास माऊली दत्त दरबार, श्री दत्तनगर, नावडे के उनके आश्रम में हाल ही में एक प्रवचन का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के डॉ. उदय धुरी ने भी उपस्थित जिज्ञासुओं को हिन्दू धर्म, धर्माचार एवं हिन्दू राष्ट्र के विषय में अवगत कराया।
प.पू. श्री सद्गुरु शांताराम महाराज माऊली ने अपने मार्गदर्शन में कहा, ‘‘साधना के अनेक मार्ग हैं; परंतु हमें अपनी प्रकृति के अनुसार अपने लिए योग्य मार्ग चुनकर निष्ठा एवं भक्ति के साथ साधना में रहना चाहिए। धर्म बढाने के लिए भक्ति की ही आवश्यकता होती है। ईश्वर तो सदैव हमारे साथ ही होते हैं; किंतु भक्ति करने से ही हमें उनका अस्तित्व प्रतीत होता है। हमारेद्वारा भक्ति करने से ही ईश्वर हमें शक्ति प्रदान करते हैं तथा वे हमारा सदैव पालन कर रहे हैं, इसकी हमें प्रचीती होती है। जगद्गुरु श्री तुकाराम महाराज ने अपने आचरण से भक्ति और निष्ठा कैसी होनी चाहिए, यह हमें दिखा दिया है। भक्तिमार्ग पर होते समय पग-पग पर हमारा आचरण शुद्ध होना चाहिए, साथ ही बुरी आदतों से बचना, शुद्ध आहार एवं सत्यवचन जैसे गुण हमें अपनाने चाहिएं। केवल बाहर से भगवे वस्र नहीं, अपितु अंदर से ही यदि हम त्याग को साधकर भगवामय बन गए, तभी हमारी आध्यात्मिक उन्नति संभव है ! भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उसके क्षत्रियधर्म के अनुरूप शस्त्र उठाने के लिए सिद्ध किया और वही स्वधर्म है !’’
सनातन के ग्रंथों की प्रशंसा !
प्रवचन के अंत में महाराज ने उपस्थित जिज्ञासुओं को सनातनद्वारा प्रकाशित विविध देवताओं के संदर्भ में विशेषतापूर्ण ग्रंथसंपदा को देखने की तथा अपनी रूचि के अनुसार उनका क्रय करने का आवाहन किया।
साधना के बलपर ही हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हो सकती है ! – डॉ. उदय धुरी
वर्ष २०२३ में हिन्दू राष्ट्र तो आने ही वाला है; परंतु उसके लिये हमारे पास साधना का बल होना चाहिए। हमें देवताओं से निरंतर चैतन्य एवं आनंद मिलता है। हमारे जीवन में इस चैतन्य को बनाए रखने हेतु हमें भक्तिमय आचरण करना चाहिए। भक्ति के कारण हमारी शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक उन्नति होती है। धर्माचरण करने से हमारे अंतरंग में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होने के पश्चात बाहर भी हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी !
अभिप्राय
- मैने स्वयं देवताओं का अनादर रोका है। समिति एवं संस्था के माध्यम से हम सभी मिलकर इन अप्रिय घटनाओं को रोकेंगे ! – श्री. ज्ञानदेव म्हसकर
- राष्ट्र एवं धर्मरक्षा, धर्मजागृति तथा हिन्दू संघटन के क्षेत्र में समिति का कार्य अद्भुत है। मैं भी मेरी क्षमता के अनुसार इस कार्य में सम्मिलित होता रहूंगा ! – श्री. परशुराम माळी
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात