मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष प्रतिपदा, कलियुग वर्ष ५११६
बगदाद : आतंक और खौफ का माहौल बनाने वाले बर्बर इस्लामिक स्टेट (आईएस) के पंजे से निकलकर लंबी घासों के बीच पनाह लेने वाले अल्बू निम्र कबीले के १०० से अधिक सदस्यों के लिए वह जगह जन्नत सरीखी ही थी, लेकिन अचानक चारों तरफ से चल रही ताबड़तोड़ गोलियों ने पूरे नजारे को एकबारगी बदल दिया।
सुन्नी समुदाय के अल्बू निम्र कबीला का एक सदस्य मुहम्मद हिलाल भी अपने परिजनों के साथ लंबी घासों के बीच ही छुपा था। अन्य लोगों की तरह आईएस के चंगुल से निकलने पर खुद को खुशकिस्मत मान रहा था। हिलाल लेकिन ज्यादा देर तक राहत की सांस भी नहीं ले पाया था। घासों पर कई कारों की हेडलाइट एक साथ पूरी तेज रोशनी के साथ जल उठी। इस रोशनी ने एक क्षण में हिलाल की दुनिया को अंधेरे के हवाले कर दिया।
हिलाल के कबीले के लोगों पर आईएस के आतंकवादियों ने हमला किया। जोर-जोर से चिल्लाए, दगाबाज हमें पता है कि तुम लोग यहां हो। इसके बाद आतंकवादियों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दी। इस हमले में अधिकतर लोग मारे गए। कुछ घायल हुए। आतंकवादी घायलों को अपने साथ बंधक बनाकर ले गए, लेकिन हिलाल मरने का नाटक करके शवों के बीच पड़ा रहा।
बच्चों और बुजुर्गों के शवों के बीच पड़े हिलाल के पैर और बांह में गोलियां लगी थीं। उसने देखा कि आतकंवादी घायलों को पीटते और गालियां देते हुए अपने साथ ले जा रहे थे। कई घंटे तक वह इसी तरह शव के बीच पड़ा रहा। हदिथा से फोन करके हिलाल ने बताया कि वह अपने परिवार का इंतजार कर रहा है। उनके परिजनों का फोन बंद है। उसका उनसे कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है। हदिथा पर इराकी सेना का कब्जा है। आईएस यहां अक्सर हमला करता रहता है। आईएस के खिलाफ लोहा लेने वाले अल्बू निम्र कबीले के सदस्यों का कत्लेआम पिछले कई दिनों से जारी है।
आईएस ने अल्बू निम्र कबीले के मुख्य गांव पर कब्जा करके चप्पे चप्पे में उनकी तलाश की और पकड़-पकड़ कर मौत के हवाले कर दिया। आईएस के आतंक से बचने के लिए इस कबीले के लोग पैदल ही इधर-उधर भाग रहे थे। कबीले के इस पलायन ने इराकी सेना की क्षमता पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है कि क्या वह आईएस के खिलाफ लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है।
शिया समुदाय से संबद्ध इराक के प्रधानमंत्री हैदर अल आब्दी की सरकार चाहती है कि अल्बू निम्र जैसे सुन्नी समुदाय के कबीले आईएस के खिलाफ ठीक उसी तरह लड़ें जैसे वे अनबर प्रांत के अल-कायदा को हराने के लिए अमेरिका के साथ मिलकर लडे थे१ कबाइली नेताओं को लेकिन यह शिकायत है कि सरकार उनकी बातों पर ध्यान नहीं दे रही है और अनबर प्रांत से आईएस को पीछे करने में नाकाम रही है।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर