यंगून : रोहिंग्या मुस्लिम विद्रोहियों ने कहा है कि, अपने समुदाय के बचाव के लिए उनके पास म्यांमार से लडने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है ! इन विद्रोहियों के एक संगठन, अराकान रोहिंग्या सैल्वेशन आर्मी (एआरएसए) ने मांग की है कि रोहिंग्याओं के भविष्य से जुड़े सभी फैसलों पर उनकी सलाह ली जाए। बता दें कि एआरएसए ने बीते साल २५ अगस्त को म्यांमार में सुरक्षाबलों के कई ठिकानों पर हमले किए थे।
सुरक्षाबलों पर हुए हमलों के बाद म्यांमार की सेना ने विद्रोहियों के दमन में व्यापक कार्रवाई की, जिससे वहां के रखाइन प्रांत में हिंसा भडक उठी। इस हिंसा से बचने के लिए साढ़े छह लाख से ज्यादा रोहिंग्या भागकर बांग्लादेश जा पहुंचे। बता दें कि म्यांमार सेनाद्वारा रोहिंग्या विद्रोहियों के खिलाफ की गई कार्रवाई की संयुक्त राष्ट्र समेत दुनियाभर के कई संगठनों ने निंदा की थी। इन संगठनों ने इसे एक समुदाय के सफाए में की गई कार्रवाई करार दिया था। हालांकि बुद्ध-बहुल म्यांमार ने इन आरोपों को खारिज कर दिया।
म्यांमार सुरक्षाबलों पर पिछले साल अगस्त में हमलों की शुरुआत करनेवाले एआरएसए ने बीते शुक्रवार को म्यांमार सेना के ट्रक पर हमला किया। इस हमले में म्यांमार सुरक्षाबलों के कई सदस्य घायल हो गए। शुक्रवार के हमले के बाद म्यांमार सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि विद्रोही बांग्लादेश से रोहिंग्याओं को वापस म्यांमार लानेवाली योजना को टालने की कोशिश कर रहे हैं।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स