टोक्यो : एक आेर भारत में बडे-बडे बिजनेसमैन बैंकों को लूटकर भाग रहे हैं और पैसा न लौटाने की एवज में, जो करना है कर लो की धमकी दे रहे हैं । ऐसे समय में जापान के इस उदाहण से हमें सीखना चाहिए । जापान की कोबे स्टील को दुनिया की जानी-मानी मेटल कंपनियों में शुमार किया जाता था । परंतु यहां प्रोडक्ट की गुणवत्ता को लेकर १९७० के दशक से हेराफेरी की जा रही थी । यह बात सामने आने के बाद कंपनी के चेयरमैन और सीईओ हिरोया कावासाकी ने मंगलवार को इस्तीफा देने की घोषणा की ।
कोबे ने दुनियाभर की लगभग ७०० कंपनियों को स्टील, कॉपर और एल्युमिनियम की सप्लाई की थी । इनमें बोइंग, एयरबस और जनरल मोटर्स भी हैं । इसने कार इंजन और टायर में उपयोग होनेवाले स्टील वायर और बुलेट ट्रेन बनाने में उपयोग होनेवाले एल्युमिनियम की गुणवत्ता को भी बढा-चढाकर बताया ।
२०१३ में कंपनी ज्वाइन करनेवाले कावासाकी का इस्तीफा १ अप्रैल से प्रभावी होगा । उन्होंने कहा, ‘हमने बहुत सारे लोगों के लिए समस्याएं उत्पन्न की हैं । अब नए हाथों में कंपनी की जिम्मेदारी सौंपने का समय आ गया है ।’ कंपनी ने एक बयान में कहा कि कई सीनियर एक्जीक्यूटिव्स को भी हटाया जा रहा है ।
कोबे ने नए सीईओ की अभी घोषणा नहीं की है । कंपनी की जांच में पता चला कि इसके कर्मचारियों ने विभिन्न प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता से जुडे १६३ मामलों में आंकडों को बढा-चढाकर दिखाया । इस काम में कई अधिकारी भी शामिल थे ।
कोबे स्टील ११२ साल पुरानी कंपनी है । स्थापना १९०५ में हुई थी । प्रधानमंत्री शिंजो आबे भी कभी यहां नौकरी करते थे । पहली बार इस घोटाले का खुलासा अक्टूबर २०१७ में हुआ था ।
पिछले साल तीन जापानी कंपनियों में धोखाधडी सामने आई थी
निसान मोटर्स : पिछले साल अक्टूबर में बिना पूरी जांच के १२ लाख कारें घरेलू बाजार में बेच दीं । धोखाधडी सामने आने पर इन्हें रिकॉल करना पडा ।
सुबारू ऑटो : इस कंपनी ने भी निसान की तरह ही धोखाधडी की थी । इसके बात इसने ४ लाख गाडियां रिकॉल की थीं ।
मित्सुबिशी : कार्बन फाइबर बनाने वाली दुनिया की शीर्ष कंपनियों में शुमार मित्सुबिशी मैटेरियल ने पिछले साल गुणवत्ता के आंकडों में हेराफेरी की बात मानी थी ।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर