पणजी : गोवा में विगत १५ वर्षों से गोवंश रक्षा अभियान के माध्यम से गोवंश की रक्षा का कार्य चल रहा है। भाजपा शासन पुलिस प्रशासन के माध्यम से वैधानिक पद्धति से चलाए जा रहे इस अभियान को पुनःपुनः रौंदने का प्रयास कर रहा है। एक ओर गोरक्षकों के विरोध में झूठे अभियोग प्रविष्ट किये जा रहें हैं और दूसरी ओर अवैध गोवंश हत्या करनेवालों को खुली छूट दी जा रही है ! गोवंश रक्षा अभियान के श्री. हनुमंत परब ने पत्रकार परिषद में ऐसा आरोप किया।
इस अवसर पर गोप्रेमी साहित्यकार श्री. आनंद मयेकर, वाळपई के गोसंवर्धन केंद्र के गोसेवक श्री. पुंडलिक भूते तथा भारतमाता संघटन के श्री. शैलेंद्र वेलिंगकर उपस्थित थे।
श्री. परब ने आगे कहा, ‘‘गोवा में गोमांस खानेवाले केवल १५ प्रतिशत लोग हैं। इस सच्चाई को छिपाकर गोवा में गोमांस खानेवालों की बडी संख्या होने का भ्रम फैलाया जा रहा है। गोवंश रक्षा हेतु गोवंश रक्षा अभियान ने अबतक वैधानिक पद्धति से संघर्ष किया है। वर्ष २००७ में गोवंश रक्षा अभियानद्वारा गोवा मांस परियोजना में निहित गोवंश हत्याएं रोकने हेतु याचिका प्रविष्ट होती थी। इस अभियान के गोरक्षकों ने अपने प्राण संकट में डालकर अवैध गोवंश हत्या की घटनाएं रोकी हैं। मैं स्वयं, अमृतसिंह और रामा परब पर प्राणघातक आक्रमण किया गया। राज्य में अवैध गोवंश की हत्या रुकें, इसके लिए गोवंश रक्षा अभियान तथा गायत्री परिवारद्वारा उच्च न्यायालय में अभियोग प्रविष्ट किए गए हैं। ऐसा होते हुए भी राज्य के मुख्यमंत्री अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण के लिए गोरक्षकों को अपराधी प्रमाणित कर रहे हैं !
गोवा में कार्यरत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने गोरक्षा के संदर्भ में उनपर भाजपा का किसी भी प्रकार का दबाव नहीं है, ऐसा स्पष्ट करना चाहिए। साथ ही मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर को गोमाता के महत्त्व के संदर्भ में अच्छी तरह से शिक्षित कर देना चाहिए !’’
इस अवसर पर गोवंश रक्षा अभियान की ओर से गोवंश की हत्या करनेवालों को मृत्युदंड देने के लिए कानून बनाए जाने की मांग का पुनरुच्चार किया गया !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात