पद्मावत फिल्म ने न दिया हुआ राजस्व शासन वसूल करें !
संजय लीला भन्साली प्रोडक्शन्स ने कोल्हापुर जिले में पन्हाळा के मसाई पठार में पद्मावत (पहले नाम था द लिजेन्ड ऑफ रानी पद्मावती जिसे अब पद्मावत नाम दिया है । ) इस विवादित फिल्म का २० दिन चित्रीकरण किया; परंतु चित्रीकरण हेतु नियमानुसार शासन को देय कुल १ लाख ९१ हजार ४५८ रुपए के शुल्क में से १ लाख ६२ हजार ७४२ रूपए शुल्क का भुगतान न कर शासन को फंसाया है । उसी प्रकार पुलिस, वन विभाग और कोल्हापुर के जिलाधिकारी ने अनुमति देने से पूर्व संबंधित व्यक्ति एवं संस्था की ओर से चित्रीकरण हेतु अनुमति लेने की इन तीनों ने शर्त रखी थी; परंतु उसका पालन न कर, चित्रीकरण कर शासन से पुन: धोखा किया गया । इस कारण यह सीधे-सीधे अपराध है । इसलिए संजय लीला भन्साली प्रोडक्शन्स से इस प्रकरण में दंड की वसूली की जाए एवं सभी संबंधितो पर अपराध प्रविष्ट किया जाय, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति और हिन्दू विधीज्ञ परिषद ने शासन से की है ।
इस संदर्भ में हिन्दू विधिज्ञ परिषद ने कोल्हापुर के जिलाधिकारी, वन विभाग के वन क्षेत्रपाल और कोल्हापुर के पुलिस अधीक्षक से प्रमाण सहित परिवाद किया है । शासन से किए गए इस परिवाद के साथ सूचना के अधिकार के अंतर्गत प्राप्त कागदपत्र भी संलग्न किए है । ये जानकारी २३ जनवरी को मुंबई में हुई पत्रकार परिषद में समिती ने दी । इस पत्रकार परिषद में हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अॅड. वीरेन्द्र इचलकरंजीकर, हिन्दू जनजागृति समितिके प्रवक्ता श्री. नरेंद्र सुर्वे, सनातन संस्था की डॉ. (सौ.) दीक्षा पेंडभाजे उपस्थित थे ।
इस संदर्भ में निवेदन में आगे कहा है कि संजय लीला भन्साली प्रोडक्शन्स की ओर से आेंकार स्टेज सर्विसेेस के दत्तप्रसाद अष्टेकर ने सर्व प्रकार की अनुमतियों के लिए पत्रव्यवहार किया था । उस फिल्म के चित्रीकरण के लिए मनोरंजन विभाग और जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय की ओर से अनुमति देते हुए संबंधित व्यक्ति और संस्था की अनुमति लेने की शर्त रखी थी; परंतु उसका पालन नहीं किया गया । प्रस्तुत चित्रीकरण ६ से ३० मार्च २०१७ तक की अवधि में कुछ दिन छोडकर, २० दिनों के लिए किया गया था । इसमें २२ से २४ मार्च २०१७ की कालावधि में कोल्हापुर के वन विभाग में तीन दिनों के २८ सहस्त्र ७१६ रुपयों का नाममात्र शुल्क भरा गया था; परंतु कोल्हापुर के जिलाधिकारी कार्यालय और पुलिस अधीक्षक कार्यालय में ६ से १४ मार्च २०१७ और २१ से ३० मार्च २०१७ तक का शुल्क भरा नहीं गया था । इसमें सरकार की लाखों रुपयों की हानि हुई है । इसके साथ ही १५ मार्च २०१७ को फिल्म के सेट को आग लगी थी । उस दिन भी बिना पुलिस की अनुमति के जगह का उपयोग किया गया था । यह शासन के साथ धोखाधडी है ।
पहले ही इस फिल्म की पार्श्वभूमि विवादित है । इस फिल्म के विरोध में देशभर में सैकडों आंदोलन हुए हैं । इस फिल्म के कारण कानून और व्यवस्था में बाधा निर्माण होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है । इसलिए हमारी मांग है कि इस प्रकरण में सरकार तुरंत ठोस कदम उठाकर शेष शुल्क और दंड (जुर्माना) की वसूली करें, इसके साथ ही, झूठी जानकारी देने के लिए संबंधितों पर फौजदारी कार्यवाही भी की जाए । अन्यथा समाज में ऐसा संदेश जा सकता है कि सरकार जानबूझकर इस ओर अनदेखी कर रहा है ।