एक प्रश्न उन बुद्धिजीवियों से जो ‘बिना देखे ही विरोध न करें’ एेसी सलाह दे रहे है। यदि ‘पद्मावत’ राजपुताना शौर्य की गाथा होती तो क्या पाकिस्तान में कभी रिलीज हो पाती ? इससे यह साफ होता है कि, उसमें अल्लाहुद्दीन खिलजी का उदात्तीकरण किया गया । जो पाकिस्तान ‘टाईगर जिंदा है’, ‘फैंटम’ जैसी फिल्मे रिलीज नही होने देता, तो ‘पद्मावत’ को क्यो रिलीज होने दिया, क्योंकि यह फिल्म हिंदु विरोधी एवं इतिहास का विकृतीकरण करनेवाली है ! – सम्पादक, हिन्दूजागृति
कराची : भारत में विरोध के बीच संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत रिलीज हो गई है। अब इस फिल्म के पाकिस्तान में भी रिलीज होने का रास्ता साफ हो गया है। न्यूज एजेंसी एएनआय के अनुसार, पाकिस्तान में फिल्म को यू सर्टिफिकेट दिया गया है। पाकिस्तान की फिल्म सेंसर बोर्ड ने बिना किसी कट के फिल्म को पास कर दिया है !
सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सेंसर पाकिस्तान के प्रमुख मोबशिर हसन ने न्यूज एजेंसी आयएएनएस को इस्लामाबाद से बताया कि फिल्म पद्मावत को प्रदर्शन के लिए उपयुक्त करार दिया गया है। फिल्म वितरकों और कुछ इतिहासकारों की राय के बाद फिल्म को यू सर्टिफिकेट दिया गया है। बता दें कि इस फिल्म में मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिलजी को नकारात्मक भूमिका में दिखाया गया है।
हसन ने कहा, ‘हम रचनात्मक स्वतंत्रता और लोगों के मनोरंजन के लिए किसी फिल्म के प्रदर्शन के खिलाफ नहीं है। फिल्म में ऐतिहासिक पहलू भी हैं इसलिए कुछ विशेषज्ञों से इसके लिए राय ली गई है। कायदे-ए-आज़म यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष वकार अली शाह को भी फिल्म देखने के लिए बुलाया गया था। सीबीएफसी के बाहरी सदस्यों को वोट देने का अधिकार नहीं होता है, लेकिन उन्हें बतौर विशेषज्ञ अपनी राय देने के लिए बुलाया जाता है !’
पाकिस्तान में बॉलिवुड फिल्मों के बड़े वितरक सतीश रेड्डी को उम्मीद है कि फिल्म को अच्छी रिस्पॉन्स मिलेगा। उन्होंने कहा कि आनेवाले एक सप्ताह में उम्मीद है कि पाकिस्तान में भी फिल्म को काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिलेगा। भारत में कई शहरों में फिल्म रिलीज जरूर हुई है, लेकिन फिल्म से पहले देश के अलग-अलग हिस्सों से हिंसा और विरोध की खबरें भी आ रही हैं !
स्त्रोत : नवभारत टाईम्स