माघ शुक्ल पक्ष द्वितीया , कलियुग वर्ष ५११४
मौनी अमावस्याको ३ करोडसे अधिक हिंदुओंने किया पवित्र स्नान !
प्रयागराज – विश्वभरमें महाकुंभ हिंदुओंका सबसे बडा उत्सव माना जाता है । इसकी प्रतीति १० फरवरीको प्रयागराजमें त्रिवेणी संगमकी ओर उमडे ३ करोडसे अधिक धार्मिक हिंदुओंके जनसागरको देखकर हुई । ९ फरवरीको दोपहर सवा तीन बजेसे मौनी अमावस्या आरंभ हुई । उस समयसे पवित्र स्नानके लिए गंगा तट एवं संगमके स्थानपर कुल २२ घाटोंपर प्रचंड जनसागर उमडा था । १० फरवरीको सुबह आठ बजेतक २ करोडसे अधिक हिंदुओंने पवित्र स्नान किया । दिनके अंतमें यह संख्या ३ करोडतक पहुंची । अत्यंत कडी सुरक्षाव्यवस्थामें मौनी अमावस्याका महत्त्वपूर्ण पवित्र स्नान संपन्न हुआ । जूना अखाडेके नागा साधुओंद्वारा पवित्र स्नान करनेके पश्चात शेष १२ अखाडोंने पूरे दिनमें नियोजित समयके अनुसार पवित्र स्नान किया ।
कडी सुरक्षाव्यवस्थाका कवच !
करोडो श्रद्धालुओंकी त्रिवेणी संगमकी ओर उमडनेकी संभावनाको देखते हुए पूर्वसे ही सुरक्षातंत्रोंद्वारा अच्छा बंदोबस्त किया गया था । गंगातट तथा महत्त्वपूर्ण स्थानोंपर पूरे १०० सीसीटीवी छायाचित्रक (कैमेरे) लगाए गए थे ।
२४ ऊंची मीनार बनाकर भारत
तिब्बत सीमापर स्थित सुरक्षारक्षकोंने संपूर्ण गंगातट एवं त्रिवेणी संगमक्षेत्रका बारिकीसे ध्यान रखा था । सैन्यदल बीच-बीचमें संचलन कर रहे थे ।
१४७ वर्षके उपरांत आया शुभयोग !
मौनी अमावस्याको शनि एवं राहू दोनों ग्रह एकत्रित आए हैं । यह योग दुर्लभ है एवं १४७ वर्षके उपरांत आया है । इस कालावधिमें चंद्र एवं सूर्य एकत्र भ्रमण करेंगे । इसलिए यह समय स्नान, दान तथा श्राद्धके लिए अत्यधिक उपयुक्त माना जाता है । ऐसे विशेष मुहूर्तके कारण भीडमें वृद्धि हुई ।
गंगाका पानी अस्वच्छ ही है !
मकर संक्रांतिका प्रथम पवित्र स्नान हो अथवा मौनी अमावस्याका पवित्र स्नान, देवनदी गंगाका पानी लाल ही दिखाई दे रहा था । प्रशासनने दावा किया था कि ‘मौनी अमावस्यातक पानीका लाल रंग हट जाएगा, जो असत्य सिद्ध हुआ । उसीप्रकार पानीकी मात्रा भी अल्प थी । इसलिए लोगोंको घुटनेतकके पानीमें पवित्र स्नान करना पडा ।
( गंगा नदी देशकी प्रतिष्ठा है ! पथभ्रष्ट तमोगुणी राजनेताओंके कारण वहांकी पवित्रता नष्ट होनेके पथपर है । उसे रोकने हेतु हिंदुओंको संगठित होकर कदम उठाना समयकी मांग है ! – संपादक )
संगमपर भगदडमें दो श्रद्धालुओंकी मृत्यु
कुंभनगरीमें सेक्टर १२ में १० फरवरीको सायंकाल हुई भगदडमें दो श्रद्धालुओंकी मृत्यु हो गई तथा कुछ घायल हो गए हैं । श्रद्धालु पवित्र स्नान कर वापस लौट रहे थे, उस समय यह भीडमें दबनेकी घटना घटी ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात