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ISIS में शामिल हानेवाला मुंबई का तबरेज बंद है लीबीया के जेल में ! जाने क्या है मामला . . .

लीबिया की जेल में कैद जिहादी युवक तबरेज तांबे

मुंबई के एक युवक का लीबिया की जेल में कैद होने का मामला सामने आया है । विदेश मंत्रालय की एंजेसी MEA को हाल ही में यह जानकारी लीबिया अथॉरिटी से मिली है । मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लीबिया की जेल में कैद युवक का नाम तबरेज तांबे है, जो वर्ष २००६ में भारत से इस्मालिक स्टेट के आंतकी संघटन आयएसआयएस में शामिल होने के लिए गया था । उसे लीबियन अथॉरटीज ने दिसंबर में पकडा था । विदेश मंत्रालय ने ३० वर्षीय तबरेज तांबे के बारे में मिली सूचना महाराष्ट्र की एटीएस टीम को दे दी है । अब एटीएस की टीम ने एक पत्र भेजकर लीबिया से तबरेज के बारे में जानकारी मांगी है । सूत्रों के अनुसार, यह शायद देश में पहला ऐसा मामला हो सकता है जहां आयएस में भर्ती होनेवाले जिहादी युवक के लिए न्यायिक मदद की मांग की गई है !

दिसंबर २०१६ में तबरेज नूर मोहम्मद तांबे के आतंकी संघटन में शामिल होने को लेकर तबरेज के भाई ने एटीएस की कला चौकी इकाई में मामला दर्ज कराया था । एटीएस चीफ ने बताया था कि तबरेज सउदी अरब के अपने एक दोस्त अली के साथ आयएसआयएस में शामिल हो गया था । तबरेज पिछले कई वर्षों से उसके संपर्क में था । दोनों रियाद में आतंकी संघटन के लिए साथ ही काम कर रहे थे ।

तबरेज का एक छोटा बेटा भी है । एटीस के अनुसार तबरेज ने वर्ष २०१६ मार्च में अपनी मां से फोन पर बात की थी, परंतु लीबिया जाने या आयएस के आंतकी संघटन में शामिल होने के बारे में कुछ नहीं बताया था । इसके बाद तबरेज ने ५ दिसंबर को दोबारा अपने परिवार से बात की थी । तब उसने लीबिया में फंसे होने की बात कही । उसने अपनी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाने के लिए कहा था । इसके बाद उसकी रिहाई के लिए एंबेसी से बात भी की थी ।

तबरेज तांबे पर धारा १६ (आतंकवादी कृत्यों के लिए), १८ (षड्यंत्र), १८ (बी) (आतंकवादी कृत्यों के लिए व्यक्ति या व्यक्तियों की भर्ती), २० (एक आतंकवादी संघटन का सदस्य) और ३९ (एक आतंकवादी संघटन का समर्थन) के तहत मामला दर्ज किया गया है । यूएपीए के तहत सउदद्वारा दी गई शिकायत के बाद मामला दर्ज किया गया था जिसमें अली ने अपने भाई को कट्टरपंथ के आरोप में दोषी ठहराया था । पुलिस को जांच में पता चला था कि अली ने पहले तबरेज के घूमने और दूसरे खर्चों के लिए ४ लाख रुपए भी भिजवाए थे !

स्त्रोत : जनसत्ता

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