महाकालेश्वर
भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में है । इस नगरी का पौराणिक और धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व प्रसिद्ध है । ऐसी मान्यता है कि, महाकाल जहां स्थित हैं वह धरती का नाभि स्थल है या पृथ्वी का केंद्र है । पुराणों, महाभारत और महाकवि कालिदास की रचनाओं में भी इस मंदिर का अत्यंत सुंदर उल्लेख मिलता है !
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प्राचीन नगर उज्जैन मालवा क्षेत्र में क्षिप्रा नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित है । प्राचीन समय में इसे उज्जयिनी कहा जाता था । उज्जैन हिन्दू धर्म की सात पवित्र तथा मोक्षदायिनी नगरियों में से एक है । अन्य छह मोक्षदायिनी नगरियां हैं – हरिद्वार, अयोध्या, वाराणसी, मथुरा, द्वारका और कांचीपुरम । यहाँ हिन्दुओं का पवित्र उत्सव कुंभ मेला हर १२ वर्षों में एक बार लगता है ।
जहां ॐकार स्वरूप में विद्यमान हैं महादेव – ॐकारेश्वर
मध्य प्रदेश के इंदौर से ७७ किलोमीटर दूर स्थित है ॐकारेश्वर ज्योतिर्लिंग । ॐकारेश्वर का शिवमंदिर भारत के १२ ज्योतिर्लिंगों में एक माना जाता है । भगवान शिव यहां ॐकार स्वरूप में विद्यमान हैं और मां नर्मदा स्वयं ॐ के आकार में बहती है !
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यह एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो नर्मदा नदी के मध्य ओमकार पर्वत पर स्थित है । मान्यता है कि भगवान शिव प्रतिदिन तीनों लोकों में भ्रमण के बाद यहां विश्राम करते हैं । इसलिए हर रोज यहां भगवान शिव की शयन आरती की जाती है और श्रद्धालु खासतौर पर शयन दर्शन के लिए यहां आते हैं ।
हिन्दुओं में सभी तीर्थों के दर्शन के बाद ॐकारेश्वर के दर्शन और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है । तीर्थ यात्री सभी तीर्थों का जल लाकर यहां ॐकारेश्वर महादेव का अभिषेक करते हैं, तभी सारे तीर्थ पूर्ण माने जाते हैं !
उत्तर भारत का ‘सोमनाथ’ – भोजेश्वर महादेव मंदिर
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग ३२ किलोमीटर की दूरी पर स्थित भोजेश्वर मंदिर को उत्तर भारत का ‘सोमनाथ’ भी कहा जाता है । भगवान शिव के इस मंदिर में आज भी अधूरा शिवलिंग स्थापित है ।
भोजेश्वर या भोजपुर नाम से मशहूर इस मंदिर की स्थापना परमार वंश के राजा भोज ने करवाई थी । यह मंदिर वास्तुकला का अद्भुत नमूना है । यह मंदिर बेहद विशाल है और इसके चबूतरे की लंबाई ही करीब ३५ मीटर है !
इस मंदिर की सबसे खास बात यहां स्थापित शिवलिंग है जिसका निर्माण एक ही पत्थर से हुआ है । दूसरी बात जो इस मंदिर को खास बनाती है वह है इसका अधूरापन । मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण एक ही दिन में पूरा होना था !
लेकिन मंदिर निर्माण कार्य पूरा होने से पहले सूर्योदय हो गया और निर्माण कार्य बंद कर दिया गया । इसलिए यह मंदिर आज भी अधूरा ही है !
जटाशंकर महादेव मंदिर
पंचमढ़ी स्थित जटाशंकर महादेव मंदिर वह जगह है जहां भस्मासुर से बचने के लिए भगवान भोलेनाथ ने शरण ली थी । पौराणिक कथाओं के अनुसार भोलेनाथ ने भस्मासुर की कड़ी तपस्या से प्रसन्न होकर उसे मनचाहा वरदान दे दिया ।
भस्मासुर ने वरदान मांग लिया कि वह जिसके सिर पर हाथ रखे वह भस्म हो जाए । वरदान मिलते ही भस्मासुर ने वरदान की ताकत को आजमाने के लिए भोलेनाथ के ही पीछे पड़ गया । भस्मासुर से बचने के लिए महादेव ने जिन कंदराओं और गुफाओं में शरण ली वह स्थान पंचमढ़ी में हैं । इसलिए यहां महादेव के कई मंदिर हैं !
मान्यता है कि पंचमढ़ी पांडवों की वजह से भी जानी जाती है । वनवास पूरा करने के बाद पांडवों ने एक वर्ष का अज्ञात यहां भी बिताया था । उनकी पांच कुटिया या मढ़ी या गुफाएं थी जिसकी वजह से इस जगह का नाम पंचमढ़ी पड़ा !
स्त्रोत : अमर उजाला