हिन्दुओं, अबतक के शासनकर्ताओं को पाकिस्तान एवं बांग्लादेश के अल्पसंख्य हिन्दुओं का दर्द सुनाई नहीं दिया, इस सच्चाई को जान लें एवं संपूर्ण विश्व में स्थित अपने धर्मबंधुओं की रक्षा के लिए अब हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य में सहभागी हों ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात
ढाका : बांग्लादेश में फारीदपूर जिले के चार बाश्पूर के हिन्दू निवासी श्री. सुनील बिश्वास, श्री. सुबल बिश्वास, श्रीमती कामोना बिश्वास एवं श्रीमती ममता बिश्वास के तबेले को धर्मांधों ने आग लगा दी ! इस आगजनी में १ गाय, १ बछडा और २ बकरियां जलकर खाक हो गईं। इसके अतिरिक्त इस तबेले में रखा गया १० मण प्याज भी जल गया ! इससे उनकी ८ लाख टके (लगभग ६ लाख १६ सहस्र रुपए) की हानि हुई। १५ फरवरी की प्रातः ३ बजे यह घटना हुई। इस प्रकरण में पुलिस प्रशासन ने २ धर्मांधों को बंदी बनाया है।
चार बाश्पूर क्षेत्र में स्थित मुस्तफा मुन्शी, रहमान मुन्शी, रहीम मुन्शी, इनामुल मुन्शी एवं बिपुल शेख इन ५ धर्मांधों ने बिश्वास परिवार के तबेले में ज्वलनशील पदार्थ फेंके। उससे तबेले में बडी आग लगी। उसके पश्चात वहां के निवासी श्री. श्यामल देबनाथ जग गए। उन्होंने इन धर्मांधों को भाग जाते हुए देखा। श्री. सुबल बिश्वास ने आग बुझाने का प्रयास किया, उसमें उनके हाथ जल गए; परंतु आग नियंत्रण में नहीं आ सकी ! तत्पश्चात उन्होंने मधुखाली पुलिस थाना में परिवाद किया। पुलिसकर्मियों ने तबेले का अवलोकन कर रहमान मुन्शी एवं इनामुल मुन्शी को बंदी बनाकर उनको पुलिस हिरासत में भेजा।
वहां का हिन्दुत्वनिष्ठ संघटन बांग्लादेश माईनॉरिटी वॉच के प्रमुख अधिवक्ता श्री. रवींद्र घोष को इस घटना की जानकारी मिलते ही उन्होंने घटनास्थल का अवलोकन कर बिश्वास परिवार से संपर्क किया। उसके पश्चात उन्होंने मधुखाली पुलिस थाने के प्रभारी मिजानुर रहमान से भेंट की। पुलिस प्रशासन को यह संदेह है कि इन आरोपियों का बिश्वास परिवार के साथ भूमि के संबंध में विवाद था। इसके कारण उन्होंने प्रतिशोध के रूप में यह कृत्य किया होगा !
अधिवक्ता श्री. रवींद्र घोष ने यह मांग की है कि, इस घटना में संलिप्त अन्य लापता अपराधियों को भी तुरंत बंदी बनाया जाए एवं इस आगजनी के कारण बिश्वास परिवार को पहुंची हानि के कारण उनको सहायता राशि दी जाए। अधिवक्ता श्री. घोष ने यह भी मांग की है कि इस घटना में घायल अन्य एक गाय की सरकारी व्यय से चिकित्सा की जाए !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात