किसी का जन्मदिन हो, शादी की सालगिरह हो या फिर कोई और अवसर हो, रात के १२ बजे केक काटना आधुनिक फैशन बन गया है । घर के बच्चे हमेशा इस बात को लेकर उत्साहित रहते हैं कि, उन्हें अपने माता-पिता के लिए रात को बारह बजे केक काटना है, भाई-बहन का जन्मदिन रात के बारह बजे ही मनाना है । किंतु क्या आप जानते है, अंग्रेजी तिथि के अनुसार बर्थडे या सालिगरह मनाना किसी के लिए भी शुभ नहीं है । इसके पीछे कुछ ऐसे कारण है, जिनका सीधा संबंध हमारे शास्त्रों से है ।
तिथि के अनुसार जन्मदिन मनाने का आध्यात्मिक अर्थ
‘जन्मदिन मनाना, अर्थात आगामी वर्ष में पदार्पण करते हुए पिछले एक वर्ष में ईश्वरद्वारा साधना हेतु दिए गए अवसर के लिए कृतज्ञता व्यक्त कर, भविष्य में भी ऐसी ही कृपादृष्टि बनाए रखने हेतु ईश्वर से प्रार्थना ।’ – पूजनीया (श्रीमती) अंजली गाडगीळ
जन्मदिन अर्थात जीव की आध्यात्मिक उन्नति के मूल्यांकन का दिन : ‘जन्मदिन अर्थात जीव की आध्यात्मिक दृष्टि से उन्नति । जीव पर किए गए संस्कार उसकी सूक्ष्मदेह पर अंकित हुए हैं अथवा नहीं’, इसका ब्यौरा लेने का दिन अर्थात जन्मदिन । आध्यात्मिक उन्नति होने पर ही वह वास्तविक जन्मदिन सिद्ध होता है । – कु. मधुरा भोसले
जन्मदिन अर्थात चैतन्य ग्रहण करने की क्षमता को वृद्धिंगत करने का दिन : ‘जन्मदिन अर्थात देवताओं के आवाहनात्मक आशीर्वाद से प्राप्त तरंगोंद्वारा जीव की चैतन्य ग्रहण करने की क्षमता में वृद्धि करना । इस चैतन्यात्मक प्रक्रिया से सात्त्विक बने बाह्य वायुमंडल हेतु पूरक बनकर जीव आंतरिक स्थिरता प्राप्त करता है ।’- पूजनीया (श्रीमती) अंजली गाडगीळ
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