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सैनिकों पर प्रविष्ट अपराध निरस्त करें एवं काश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू करें ! – राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन के माध्यम से मांग

चोपडा (जिला जलगांव) के हिन्दूत्वनिष्ठ संघटनोंद्वारा की गई मांग

आंदोलन में सम्मिलित हिन्दूत्वनिष्ठ

चोपडा (जलगांव ) : २० फरवरी को संपन्न हुए राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन के समय हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. सुधाकर चौधरी ने यह मांग की कि, ‘कश्मीर में धर्मांध पत्थरबाजों को हटाने के लिए सेनाद्वारा की गई गोलीबारी में दो देशद्रोही पत्थरबाजों की मृत्यु हुई; इसके लिए देश की सीमा पर दिनरात लडनेवाली सेना पर अपराध प्रविष्ट करना, यह घटना देशद्रोहियों को प्रोत्साहित करनेवाली एवं सेना के मनोबल का खस्सीकरण करनेवाली है !’

चोपडा तहसिल कार्यालय के प्रांगण में आंदोलन कर तहसिलदार श्री. दीपक गिरासे को इस मांग का ज्ञापन प्रस्तुत किया गया। साथ ही इस ज्ञापन में कासगंज जिले में ‘तिरंगा यात्रा’ पर धर्मांधोंद्वारा किया गया पथराव, ‘पाकिस्तान झिंदाबाद’ की घोषणाएं एवं तिरंगे का अनादर, देशभक्त चंदन गुप्ता की हत्या का निषेध किया गया। इस संदर्भ में निश्चित कार्रवाई कर सूत्रधारों को त्वरित बंदी बनाएं, देशविरोधी घोषणा देनेवालों पर कडी कार्रवाई करने हेतु नया अधिनियम पारित करें, मदरसों में की जानेवाली देशविरोधी गतिविधियों की भी केंद्रशासन जांच करें’ ये मांगें भी की गई।

उस समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तहसिल कार्यवाहक श्री. संदीप पाटिल, कार्यकर्ता सर्वश्री लक्ष्मण शेटे, मुरलीधर पाटिल, चेतन बिर्‍हाडे, शशिकांत सोनवणे, शिवसेना के सर्वश्री प्रविण जैन, दीपक महाजन, ‘दैनिक सनातन प्रभात’ के वाचक श्री. नरेंद्र जैन, साथ ही हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यकर्ता उपस्थित थे।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

हिन्दू जनजागृति समिति की आेर से प्रत्येक माह में राष्ट्र आैर धर्म से जुडे अलग-अलग विषय को लेकर हर राज्य में आंदोलन किया जाता है ! आप भी एेसे आंदोलन में सहभागी होकर राष्ट्र तथा धर्म सेवा कर सकते है ! हमसे जुडने हेतु यहां Click करें : HinduJagruti.org/join


सेना पर किए गए परिवाद निरस्त करें – राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन में मांग

देहली में राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन !

देहली : हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से १८ फरवरी को यहां के संसद मार्ग पर आयोजित किए गए ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’ में यह मांग की गई कि, ‘जम्मू-काश्मीर के शोपियां में देशद्रोहियों ने पथराव कर सेना पर आक्रमण किया। उस समय आत्मरक्षा हेतु किए गए गोलिबारी में २ देशद्रोहियों की मृत्यू हुई। इसमें सेना की कुछ भी चूक नहीं थी। ऐसे में रातदिन लडनेवाली सेना पर ही अपराध प्रविष्ट करना अर्थात् देशद्रोह को प्रोत्साहन देने के समान है ! अतः सेना पर प्रविष्ट की गई याचिका निरस्त करें !’

क्षणचित्र : आंदोलन आरंभ होने के ३० मिनट पश्चात ही पुलिस ने आकर आंदोलन रोकने की लिखित सूचना दी। अतः ही आंदोलन आधे पर ही रोकना बाध्य हुआ ! (राष्ट्र एवं धर्म हेतु निःस्वार्थ रूप से कार्य करनेवाली हिन्दू जनजागृति समिति के आंदोलनों पर प्रतिबंध लगानेवाले पुलिस ने क्या कभी इस प्रकार का प्रतिबंध अन्य पंथियों के आंदोलनों पर लगाया है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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