उज्जैन : देश के महान तपस्वी मौनी बाबाजी ने शनिवार को सुबह ६.३० पर देगत्याग किया । वे पुणे के एक अस्पताल में भर्ती थे । उनकी पार्थिव देह शनिवार शाम उज्जैन लाई जाएगी । अंतिम संस्कार मोनतीर्थ गंगाघाट आश्रम पर रविवार सुबह ११ बजे किया जाएगा । मिली जानकारी के अनुसार मौनी बाबा की पार्थिव देह को मुखाग्नि उनके मानस पुत्र सुमनभाई मानस भूषण देंगे ।
१०८ वर्षीय मौनीबाबा के जन्म स्थान, शिक्षा और नाम को लेकर कई किवदंती है, मगर प्रमाणित रूप से बताया गया है कि, वे वर्ष १९६२ में उज्जैन आए थे । उन्होंने शुरुवात के पांच साल नरसिंह घाट पर तपस्या की । फिर गंगाघाट को अपनी तपस्थली बनाया ।
संकल्प के तहत उन्होने तकरीबन ८० वर्षो से मौन धारण किया था । अपनी बात लिखकर बयां करते थे । जीवनपर्यंत केवल दूध और फल का आहार किया । सबका भला हो और विश्व का कल्याण, यही उनकी अंतिम इच्छा थी । इसके लिए उन्होंने महाकुम्भ सिंहस्थ-२०१६ में १०० वर्षीय अखंड यज्ञ की स्थापना की । दिवंगत पूर्व मंत्री अर्जुनसिंह ने मौनीबाबा की प्रेरणा से राष्ट्रीय वेदविद्या प्रतिष्ठान की स्थापना कराई थी ।
डेढ माह से पुणे में चल रहा था इलाज
पुणे के एक अस्पताल में मौनीबाबा का डेढ माह से इलाज चल रहा था । उन्हें श्वास की समस्या थी । बाद में निमोनिया हो गया था । चार दिन पहले वे ठीक भी हो गए थे । परंतु शुक्रवार दोपहर तबियत बिगडने पर उन्हें दोबारा वेंटिलेटर पर रखना पडा और शनिवार सुबह ब्रह्मलीन हो गए ।
स्त्रोत : नर्इ दूनिया