मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष पंचमी, कलियुग वर्ष ५११६
पाकिस्तानी हिंदुओं ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ रहे अत्याचार को खत्म करने के लिए एक बहुधर्मीय समिति के गठन में प्रधानमंत्री से सहयोग की मांग की है।
पाकिस्तान हिंदू काउंसिल (पीएचसी) ने राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की अगुवाई में बहुधर्मी समिति के गठन का प्रस्ताव दिया है ताकि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को रोका जा सके और समाज में सौहार्द को बढ़ावा दिया जा सके।
समाचार पत्र ‘डॉन’ के अनुसार रविवार को कराची में पीएचसी के कार्यकारिणी की बैठक हुई थी जिसमें देश भर में अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार के बढते मामलों की समीक्षा की गई।
संगठन ने लाहौर में ईशनिंदा को लेकर एक ईसाई दंपति की निर्मम हत्या की निंदा की। इस घटना के बाद अल्पसंख्यकों के बीच भय का माहौल है।
पीएचसी के प्रमुख चेला राम केवलानी की अगुवाई में हुई इस बैठक में हिंदू नाबालिग लड़कियों के अपहरण की भी निंदा की गई।
बहुधर्मी सौहार्द और हिंदू विवाह कानून के लिए विधेयक की जरूरत पर जोर देते हुए पीएचसी ने प्रधानमंत्री शरीफ और प्रांतीय मुख्यमंत्रियों का आह्वान किया कि वे अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कानूनों का प्रभावी ढंग से कार्यान्वयन सुनिश्चित करें।
बैठक में प्रस्ताव दिया गया कि बहुधर्मी समिति में अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री अमीन-उल-हसनत शाह, प्रमुख अल्पसंख्यक हस्तियों और जमात-ए-इस्लामी सहित हर धार्मिक पार्टी से कम से कम एक सदस्य को शामिल किया जाए।
पीएमएल-एन के सांसद और पीएचसी के संरक्षक रमेश कुमार वांकवानी ने कहा कि हिंदू लड़कियों के अपहरण, जबरन धर्मांतरण और जबरन शादी किए जाने की घटनाएं हिंदू अल्पसंख्यकों के सामने गंभीर मुद्दा हैं।
उन्होंने कहा कि संविधान अल्पसंख्यकों के अधिकारों की गारंटी देता है और यह भी याद दिलाया कि पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने १९४७ के अपने भाषण में कहा था कि अल्पसंख्यकों के कल्याण और उनके अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार का पहला फर्ज है।
स्त्रोत : समय लाईव