लंदन के २५ वर्षीय उमर अहमद हक को शुक्रवार (२ फरवरी) को न्यायालय ने ‘बाल आतंकियों की फौज’ खडी करने के प्रयासों का दोषी पाया । समाचार एजेंसी रॉयटर्स की खबर के अनुसार, उमर हक लंदन में कई आतंकी हमले करना चाहता था । उसे खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट का समर्थक बताया जा रहा है । उमर हक मदरसे में पढने वाले बच्चों को हिंसा के वीडियो दिखाकर उन्हें बाल आतंकी बनाने का प्रयास कर रहा था । वह बच्चों को पुलिस पर हमला करने का भी प्रशिक्षण दे रहा था ।
आतंकवाद मामलों के महानगरीय पुलिस प्रमुख डीन हेडन ने बताया, ‘उसकी योजना बाल आतंकियों की फौज तैयार कर लंदन भर में कई आतंकी हमले करने की थी । उसने प्रयास किया, हमें लगता है कि कट्टरपंथ की चपेट में ११ से १४ साल के बच्चे होंगे ।’ पुलिस ने बताया कि किसी प्रकार की योग्यता नहीं रखने वाले उमर हक को व्यवस्थापक के तौर पर नौकरी पर रखा गया था ।
वह पढाई की आड में एक छोटे से निजी इस्लामी स्कूल और पूर्वी लंदन की रिपल रोड मस्जिद से जुडे एक मदरसे के ११० बच्चों को इस्लामिक शिक्षा देकर आतंकी बना रहा था । उन बच्चों में से ३५ अब सामाजिक सेवाओं और अन्य अधिकारियों से जुडे लंबे समय वाले सुरक्षा उपायों से गुजर रहे हैं । उनमें से ६ ने उमर हक के विरुद्ध ऐसे साक्ष्य मुहैया कराए जिनमें बताया गया था कि लडाई करना अच्छा है और ताकत बढाने के लिए क्या उपाय करने चाहिए । अभियोजन पक्ष ने बताया कि उमर हक का उद्देश लंदन के बिग बेन टॉवर, महारानी की सुरक्षा में लगे सैनिकों, एक बडे शॉपिंग सेंटर, बैंकों और मीडिया स्टेशनों पर हमला करने का था ।
उमर हक पिछले वर्ष मार्च में हुए लंदन के वेस्टमिंस्टर ब्रिज पर हए आतंकी हमले से प्रेरित था, जिसमें खालिद मसूद नाम के आतंकी ने संसद के इलाके में एक पुलिस अधिकारी को चाकू से मारने के बाद किराये पर कार लेकर चार यात्रियों को कुचलकर मार डाला था । उसने मदरसे में पढाने वाले १९ वर्षीय शख्स अबू ताहेर मैमून से बंदूकों और बारूद से भरी कारों से उसी तरह के हमले करने की बात की थी । उसने बच्चों को मसूद की तरह हमले करने के लिए कहा था और अपने साथी को कहा था कि जनता का विनाश होना चाहिए ।
स्त्रोत : जनसत्ता