छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप, बाजीराव पेशवा आदि राष्ट्रीय महापुरुषों के योगदान से आज हिन्दू समाज अभिमान के साथ जी रहा है । दुर्भाग्य से केंद्रीय स्तर की ‘एन.सी.ई.आर.टी.’ की पुस्तकों में अनेक वर्षों से छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास केवल ६ पंक्तियों में पढाया जाता था, और महाराणा प्रताप के नाम का तो केवल उल्लेख रहता था । इसके विपरीत अकबर, बाबर आदि आक्रमणकारी मुगलों का इतिहास अनेक पन्नों में पढाया जाता था । वर्ष २००८ से हिन्दू जनजागृति समिति इस विषय में राष्ट्रीय स्तर पर अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के साथ मिलकर आंदोलन कर रही है । परिणामस्वरूप, वर्ष २००८ में गोवा शासन ने समिति के इस आंदोलन का संज्ञान लेकर, इतिहास की पुस्तक निरस्त की और इस में छत्रपति शिवाजी महाराज तथा छत्रपति संभाजी महाराज का पाठ जोडकर, नई पाठ्यपुस्तक विद्यार्थियों को दी ।
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मुगलों को आदर्श माननेवाली कांग्रेसी सरकार महाराष्ट्र और देहली में पैर जमाए बैठी थी । इसलिए उन्हें इसमें परिवर्तन करने की इच्छा नहीं हुई । वर्ष २०१४ में हिन्दुत्वनिष्ठ सरकार सत्ता में आने के पश्चात भी इस विषय का अनेक बार स्मरण दिलाया गया । अंततः यह प्रयास सफल हुआ । यह सफलता, सभी हिन्दुत्वनिष्ठ और शिवप्रेमी संगठनों के सामूहिक प्रयत्नों से मिली है । इसी प्रकार, यह विषय विधानमंडल और संसद में बार-बार उठानेवाले शिवसेना के सांसदों और विधायकों का भी इस सफलता में बडा योगदान है । पुस्तक में परिवर्तन कर, उसमें भारतीय राजाआें को स्थान देनेवाली केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी का भी, हिन्दू जनजागृति समिति हृदय से आभार मानती है । तथापि प्रत्यक्ष पुस्तक छपने के उपरांत उसमें छत्रपति शिवाजी महाराज को उचित स्थान दिया गया है कि नहीं, यह देखकर समिति अपनी आगे की भूमिका स्पष्ट करेगी, ऐसा हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने कहा है ।
इस सबके बीच छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर हिंसा और तोडफोड करनेवाले कुछ संगठन, इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में उन्हें उचित स्थान दिलाने के लिए कुछ करते दिखाई नहीं दिए । ‘शिवजयंती’ के निकट मिली यह जीत, हमारी अगली लडाई के लिए हमें प्रेरणा देती रहेगी, यह विचार हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री रमेश शिंदे ने व्यक्त किया है ।