मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष षष्ठी, कलियुग वर्ष ५११६
क्या केन्द्रशासन इस मांग को पुरी करेगा ?
मुंबई : केन्द्रशासन बदलनेके कारण हिन्दू जनजागृति समितिने मानव संसाधन विकास एवं उच्च शिक्षा मन्त्री श्रीमती स्मृति ईरानीको राष्ट्रीय शैक्षणिक संशोधन एवं प्रशिक्षण संस्था (एन.सी.ई.आर.टी.) तथा राष्ट्रीय महिला आयोगकी पुनर्रचना करनेकी मांग का निवेदन दिया है ।
१. राष्ट्रीय शैक्षणिक संशोधन एवं प्रशिक्षण संस्थाका अभ्यासक्रम सदैव विवादास्पद सिद्ध होता है । कभी इससे भगतसिंह आदि क्रान्तिकारियोंको आतंकवादी सम्बोधित कर उनका अपमान किया जाता है, तो कभी भारतकी मूल परम्पराओं एवं विश्वकी सबसे प्राचीन हिन्दू संस्कृतिका विकृत इतिहास प्रस्तुत किया जाता है ।
२. १२ वीं की पुस्तक ‘भारतीय इतिहास की मूलभूत संकल्पनाएं’ में भारतीय ऋषिपत्नी गौतमी एवं वसिष्ठी प्रत्यक्ष रूपसे अस्तित्वमें थीं ही नहीं । प्राचीन समयमें जन्मसे व्यक्तिका वर्ण निश्चित किया जाता था । इस प्रकारकी भारतीय संस्कृतिके विषयमें सम्भ्रम उत्पन्न करनेवाली जानकारी अनेक स्थानोंपर दी गई है । इस अभ्यासक्रमसे लाखों विद्यार्थियोंपर अयोग्य इतिहास अंकित किया जा रहा है । इसलिए इतिहासका विकृतीकरण करनेवाले मण्डलकी पाठ्यपुस्तकमें त्वरित लेखन परिवर्तित करनेकी मांग की गई है ।
३. पाठ्यपुस्तकमें प्रमाण एवं सन्दर्भ न होनेसे केवल बच्चोंके मन कलुषित करने हेतु झूठी जानकारी दी गई है ।
४. कक्षा ७ वींके इतिहासकी पुस्तकमें १५४ पृष्ठोंमें अधिकांश पृष्ठ हिन्दुस्थानपर आक्रमण करनेवाले मुगल एवं मुसलमान राजाओंकी जानकारीके लिए व्यय किए गए हैं, जबकि मुगलोंसे युद्ध कर हिन्दवी स्वराज्यकी स्थापना करनेवाले छत्रपति शिवाजी महाराजका पूरा इतिहास केवल ६ पंक्तियोंमें प्रस्तुत किया गया है । इससे दिखाई देता है कि इस पुस्तकमें छत्रपति शिवाजी महाराजको केवल नहींके बराबर अर्थात नगण्य स्थान दिया गया है ।
५. कक्षा ७ वींके ‘हमारे अतीत’ इतिहासकी पाठ्यपुस्तकके तीसरे पाठमें दिल्लीके सुलतानके लिए १५ पृष्ठ व्यय किए गए, जिनमें देहलीके सुलतान, राज्यका विस्तार, अल्लाउद्दीन खिलजी तथा महम्मद तुगलकके वारिसोंकी जानकारी देकर उनका उदात्तीकरण किया गया है ।
६. पूरे देशमें लगभग १३.३३ प्रतिशत विद्यालयोंमें अभ्यासक्रम सिखाया जाता है ।
७. शासनको इसपर त्वरित ध्यान देकर हिन्दुस्थानके खरे इतिहासको उचित स्थान दिया जाना चाहिए तथा ऐसा झूठा अभ्यासक्रम त्वरित परिवर्तित करना चाहिए, अन्यथा इसके विरोधमें तीव्र आन्दोलन आरम्भ किया जाएगा ।
८. इस मण्डलकी गलत कार्यपद्धतिके कारण भावी पीढीकी हानि हो रही है । इसके लिए सांस्कृतिक, धार्मिक एवं राष्ट्रप्रेमी विचारधारावाले व्यक्तियोंका समावेश कर राष्ट्रीय शैक्षणिक संशोधन एवं प्रशिक्षण संस्था एवं राष्ट्रीय महिला आयोगकी पुनर्रचना करें ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात