बेंगलुरु : उच्च न्यायालय ने मूर्ति के साथ अभद्रता करने और इसका विडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डालनेवाले व्यक्ति के विरुद्ध केस समाप्त करने से इनकार कर दिया है ! इससे स्पष्ट हो गया है कि कर्नाटक के इस युवक के विरोध में पूरी कानूनी कार्रवाई की जाएगी । आरोपी ने बिल्लव समुदायद्वारा पूजी जानेवाली देई बैदेती की मूर्ति के स्तनों को छूते हुए फोटो क्लिक की थी और इसे सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया था ।
बता दें कि, आरोपी अब्दुल हनीफ ने एक याचिका दायर करके खुद के खिलाफ केस समाप्त करने की मांग की थी । मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस बुदिहल आरबी ने कहा, ‘इतने गंभीर आरोप होने और केस की शुरुआत में ही कार्रवाई खत्म करके केस समाप्त नहीं किया जा सकता है !’
क्या है मामला ?
उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि, मामला ना केवल एक एफआईआर पर आधारित है बल्कि एफआईआर के साथ पर्याप्त सबूत भी हैं । आरोप हैं कि, पेशे से ऑटो ड्राइवर अब्दुल हनीफ ने अभद्र अवस्था में फोटो क्लिक करके सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था ।
ब्रह्मश्री संघ के सचिव केशव बेद्राला की शिकायत पर हनीफ को तुरंत गिरफ्तार भी कर लिया गया । दो बार उसकी याचिका भी खारिज हो गई थी परंतु तीसरी बार पुलिस के ६० दिनों के अंदर जांच रिपोर्ट पेश ना करने के कारण हनीफ को जमानत मिल गई । इससे पहले हनीफ दो महीने जेल में रह चुका था ।
हनीफ के खिलाफ आईटी ऐक्ट के अलावा आईपीसी की धारा २९५ ए (जान-बूझकर दुर्भावनापूर्ण व्यवहार करने और किसी धर्म या उसके विचारों का अपमान करके धार्मिक भावनाओं को भड़काना) के तहत भी केस दर्ज किया गया है !
कौन थीं देई बैदेती ?
देई बैदेती कर्नाटक के तटीय इलाकों में पूजी जाती हैं । वह स्थानीय वैद्य के रूप में काम करती थीं और वीर लड़ाकों कोटि और चेन्नया की मां थीं । कोटि और चेन्नया की भी यहां पूजा की जाती है !
स्त्रोत : नवभारत टाईम्स