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हिन्दूओं ने अपना आचारण अपने धर्म के अनुसार कर कर्महिन्दू बनना चाहिए ! – श्री. श्रीराम काणे

श्री. श्रीराम काणे

कायथा, उज्जैन : गुढीपाडवा के उपलक्ष्य में मिहिर विचार क्रांति मंच के आयोजित एक कार्यक्रम में हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. श्रीराम काणे संबोधित कर रहे थे । अपने संबोधन में उन्होंने ऐसा प्रतिपादित किया कि, ‘हिन्दूओं ने अपना आचारण अपने धर्म के अनुसार कर कर्महिन्दू बनना चाहिए । अब अधिकांश हिन्दू केवल नाम के ही हिन्दू रह गए हैं !

कर्महिन्दू होने के लिए हमें प्रतिदिन तिलक धारण करना, एकदूसरे का अभिवादन करते समय राम-राम कहना, जन्मदिन केक कांटकर मनाने की अपेक्षा सनातन संस्कृतिनुसार करना आदि धार्मिक आचरण करना आवश्यक है । यदि हम ईश्वर के भक्त बनें, तो ही आगामी आपत्काल में हमारी रक्षा होगी ! उस समय समिति के श्री. योगेश वनमारे ने भी उपस्थितों को संबोधित किया ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात


मस्तक पर तिलक धारण करने का कारण क्‍या है ?

‘मनुष्यदेह को ईश्वर का देवालय (मंदिर) माना गया है । सहस्रार-चक्र मूर्धास्थान पर (चोटी के स्थान पर) होता है । वहां निर्गुण परमेश्वर का वास होता है । भृकुटि मध्य में (दोनों भौंहों के मध्य) आज्ञा-चक्र पर सगुण परमेश्वर का वास होता है । माया की उपाधि रहने तक सगुण परमेश्वर की ही पूजा करना उचित है । अधिक पढें

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