मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष सप्तमी, कलियुग वर्ष ५११६
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‘संत सम्मेलन’ में
आरएसएस प्रमुख ने कहा है कि दुनिया की कुछ शक्तियां हिंदूओ को धर्म छोड़ने का लालच देकर उसे विभाजित करने की कोशिश कर रही हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने सिद्धगंगा मठ में ‘संत सम्मेलन’ में कहा कि दुनिया की कुछ शक्तियां हिंदू समाज को विभाजित करना चाहती हैं। ऐसी शक्तियां हमारे अपने लोगों को अपने साथ ले जाती हैं। ये लोग बाद में हिंदू समाज के दुश्मन बन जाते हैं… हमें आईना दिखाने की जरूरत है जो हर हिंदू की एकता प्रतिबिंबित करे। इस तरह का कार्य हिंदू समाज के संत-स्वामी प्रभावी तरीके से कर सकते हैं।
सिद्धगंगा मठ के डॉ. शिवकुमार स्वामी ने भागवत के साथ मिलकर सम्मेलन का उद्घाटन किया जिसका आयोजन विश्व हिंदू परिषद ने अपने स्वर्णजयंती समारोह के तहत किया था।
भागवत ने स्वामियों से लोगों के जीवन में उतारे जाने वाले आध्यात्मिकता के मूल्य का विश्लेषण और उस पर चर्चा करने का अनुरोध किया।
उन्होंने कहा कि हमें स्वामीजी की मदद से इन गुमराह लोगों का मार्गदर्शन करने के वास्ते मूल्यों को लागू करने के लिए चलाए जाने वाले कार्यक्रमों एवं उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा करने की जरूरत है।
भागवत ने कहा कि आरएसएस विहिप अपनी सामाजिक गतिविधियों से स्वामीजी का समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि यदि संत-स्वामीजी समाज की अगुवाई करेंगे तो हम धार्मिक नेतृत्व के पीछे रहेंगे।
उन्होंने कहा कि हम वसुधैव कुटुम्बकम अवधारणा में विश्वास करने वाले लोग हैं। हिंदू के लिए कोई बाहरी नहीं है। भारत के हर धार्मिक संप्रदाय को अपनों के बीच यह अवधारणा स्पष्ट कर लेनी चाहिए।
विहिप के अंतरराष्ट्रीय महासचिव चंपत राय ने कहा कि साधुओं और संतों में हिंदू समाज के समक्ष मौजूद सभी समस्याओं का हल करने की क्षमता है। इस अवसर पर भागवत ने वरिष्ठ संघ प्रचारक चंद्रशेखर भंडारी की ओर से लिखित एक पुस्तक भी जारी की।
इस मौके पर आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री रविशंकर ने भारत में बढ़ते धर्मांतरण पर चिंता जतायी और कहा कि धर्मांतरण रोकने के लिए प्रभावी उपाय होने चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में जनसंख्या अभिशाप नहीं बल्कि वरदान है। समाज को अंधविश्वास, जातिवाद जैसी सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए गंभीर रूप से आगे आना चाहिए।
स्त्रोत : समय लाईव