केवल हिन्दू संत ही ऐसा कहते हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात
बेंगलुरू : ‘‘मैं जब कारागृह में थी, तब मुझे ऐसा लगता था कि, वहां के अमानवीय उत्पीडन के कारण मैं जीवित नहीं रह सकूंगी ! तब मन में यह विचार होता था कि, चाहे मुझे मृत्यु आई, तो भी कोई चिंता नहीं; परंतु पुनः उसी उद्देश्य से (हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए) मैं पुनः जन्म लूंगी ! चाहे मेरे कितने भी जन्म हों; परंतु हर जन्म में केवल राष्ट्ररक्षा ही मेरा लक्ष्य होगा !’’
प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर ने ऐसा प्रतिपादित किया । हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यकर्ताओं ने बेंगलुरू मे उनसे सदिच्छा भेंट ली । उस समय वे बोल रही थीं ।
इस भेंट के समय साध्वीजी ने कारावास के समय वहां किए जानेवाले अमानवीय उत्पीडन के कारण उन्होंने शारीरिक पीडा कैसे सहन कीं, साथ ही यह पीडा सहन करते समय ईश्वर ने उनकी कैसे सहायता की, इस विषय में बताया ।
इस अवसर पर समिति के राज्य समन्वयक श्री. गुरुप्रसाद, श्री. श्रीकांत, श्री. नवीन, श्रीमती अश्विनी प्रभु तथा कु. रश्मी उपस्थित थीं ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात