हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने अपनी नेपाल यात्रा में वहां के हिन्दुत्वनिष्ठों को साधना के संदर्भ में मार्गदर्शन किया एवं उनको धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के कार्य के लिए प्रेरित किया । प्रस्तुत कर रहें हैं इसीका वृत्तांत . . .
त्रिभुवन विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग प्रमुख श्री. नारायण प्रसाद गौतम से भेंट
धर्मशिक्षा देना यही धर्मांतरण की समस्या पर प्रभावशाली समाधान ! – सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी
काठमांडू : हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने हाल ही में यहां के त्रिभुवन विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग प्रमुख श्री. नारायण प्रसाद गौतम से भेंट की । इस अवसर पर सद्गुरु (डॉ.) पिंगळेजी ने कहा, ‘‘धर्म एवं संस्कृति के लिए राजाश्रय का होना आवश्यक है । समाज को धर्मशिक्षित करना यही धर्मांतर रोकने का प्रभावशाली समाधान है ! हमें धर्मांतर करनेवालों का पूर्वेतिहास समस्त विश्व के सामने रखना चाहिए एवं उनकी कथनी और करनी में कितना अंतर है, इसे भी लोगों के सामने उजागर करना चाहिए !’’
श्री. नारायण प्रसाद ने कहा, ‘‘नेपाल में जब से ईसाईयों का हस्तक्षेप होना आरंभ हुआ, तब से यहां संस्कृत भाषा का महत्त्व अल्प होता गया एवं आज हर कोई विज्ञान का अध्ययन करने का प्रयास कर रहा है । नेपाल की राजनीति स्वच्छंद हो गई है !’’ इस अवसर पर प्राध्यापक श्री. उमेश आचार्य भी उपस्थित थे ।
क्षणिकाएं
१. श्री. गौतम ने ४-५ मास पश्चात समाज, राष्ट्र एवं धर्म के लिए समर्पित होने का निश्चय किया !
२. श्री. गौतम ने स्वयंस्फूर्ति से विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों के लिए कार्यक्रम का आयोजन करने के संदर्भ में पूछा !
हिन्दू जागरण, नेपाल के उपाध्यक्ष श्री. रामेश्वर धेताल के परिजन एवं मित्रपरिवार से भेंट
काठमांडू : हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने ‘हिन्दू जागरण मंच, नेपाल के श्री. रामेश्वर घेताल के परिजन एवं मित्रपरिवार से सदिच्छा भेंट की । इस अवसर पर सद्गुरु (डॉ.) पिंगळेजी ने उनको धर्मशिक्षा का महत्त्व विशद किया एवं उनको ईसाईयोंद्वारा चर्च में महिलाओं के साथ किए जा रहे अत्याचारों के संदर्भ में अवगत कराया । उन्होंने कहा कि हमें भी ईसाई प्रचारकों के विचारों को बौद्धिक स्तर पर तोडना आना चाहिए एवं इसके लिए हिन्दुओं को धर्मशिक्षा एवं प्रशिक्षण देना आवश्यक है !
इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने अपनी शंकाओं का निराकरण करवा लिया । श्री. धेताल ने स्वयं ही इस भेंट का आयोजन किया था ।
‘न्यूज २४’ वाहिनी के निवेदक श्री. कृष्णप्रसाद खनाल का सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी के साथ वार्तालाप
मनुष्य ने यदि अपनी बुद्धि अध्यात्म के लिए समर्पित की, तो उसका उत्कर्ष अवश्य होगा ! – सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी
काठमांडू : मनुष्य ने यदि अपनी बुद्धि का उपयोग विज्ञान के लिए किया, तो विज्ञान का उत्कर्ष होगा; परंतु मनुष्य ने यदि अपनी बुद्धि अध्यात्म को समर्पित की, तो उसका उत्कर्ष होगा ! हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने ऐसा प्रतिपादित किया ।
सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने नेपाल की यात्रापर थे, तब ‘न्यूज २४’ वाहिनी के निवेदक श्री. कृष्णप्रसाद खनाल ने उनके साथ वार्तालाप किया ।
सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने आगे कहा, ‘‘मनुष्य ने यदि सनातन धर्म के आचार-विचारों का पालन किया, तो उसकी अयोग्य रज-तम विचारों से रक्षा होकर वह सत्त्वगुणी व्यवस्था की ओर अग्रसर होता है, ऐसा शास्त्र कहता है । इसीलिए ही सनातन संस्था की ओर से परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजीद्वारा संकलित ३०० से भी अधिक ग्रंथ विविध भाषााओं में प्रकाशित किए हैं । उनमें हिन्दू धर्म से संबंधित अनेक प्रश्नों के उत्तर होने से समाज बड़ी मात्रा में सनातन के साथ जुड रहा है !’’
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात