मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष सप्तमी, कलियुग वर्ष ५११६
हिन्दू परंपरा, संस्कृति और धार्मिक स्थलों की पूरी तरह अनदेखी की जा रही है और इन्हें महोत्सवों में जानबूझ कर छोड़ा जा रहा है जबकि लखनउ में इसकी जड़ें त्रेता युग से हैं।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने लखनऊ महोत्सव के दौरान सभी पंडालों के भीतर और बाहर तथा प्रमुख जगहों पर वीर वर लक्ष्मणजी को चित्रित करने के निर्देश के लिये दायर याचिका पर आज उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा और न्यायमूर्ति आर. आर. अवस्थी की खंडपीठ ने दस स्थानीय वकीलों के समूह हिन्दू फ्रंट फार जस्टिस की जनहित याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। राज्य सरकार को 17 नवंबर तक जवाब देना है। इस मामले में अब 17 नवंबर को आगे सुनवाई होगी।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार संविधान के अनुच्छेद-51-ए (एफ) में उल्लिखित कर्तव्यों का उल्लंघन कर रही है। हिन्दू परंपरा, संस्कृति और धार्मिक स्थलों की पूरी तरह अनदेखी की जा रही है और इन्हें महोत्सवों में जानबूझ कर छोड़ा जा रहा है जबकि लखनउ में इसकी जड़ें त्रेता युग से हैं।
लखनऊ महोत्सव शहर में हर साल होता है। इसमें लखनवी खानपान, पहनावा, गीत, संगीत और संस्कृति का नजारा देखने को मिलता है। महोत्सव 25 नवंबर से शुरू होना है।
स्रोत : नवभारत टार्इम्स