हर बार सर्वधर्मसमभाव का ढोल पीटनेवाले क्या अब इसपर कुछ कहेंगे ? या सर्वधर्मसमभाव केवल हिन्दुआें ने ही दिखाना है ? – सम्पादक, हिन्दुजागृति
जहां एक आेर केंद्र सरकार देश में योग को बढावा देने के लिए कई कदम उठा रही है । वहीं केरल के चर्च की रिपोर्ट के अनुसार ‘यह भगवान के पास पहुंचने का साधन नहीं है’, ऐसा रिपोर्ट सायरो-मालाबार चर्च के सैद्धांतिक आयोग ने दी है ! इस रिपोर्ट को पाली बिशप जोसेफ कल्लारगट्टू ने तैयार किया है । जिसे हाल ही में सायरो मालाबार चर्च की धर्मसभा ने मंजूरी मिली है । हालांकि पादरियों और समाज के सदस्यों के एक समूह ने इस रिपोर्ट का विरोध किया है ।
रिपोर्ट में कहा गया है, योगा भगवान तक पहुंचने का रास्ता नहीं है । यह विश्वास करना सही नहीं है कि यह भगवान को महसूस करने या उससे साक्षात्कार करने में मददगार होता है । योगा किसी शख्स के अंदर किसी तरह का कोई बदलाव नहीं लाता है । आरएसएस और दूसरे संघ परिवार समूह पूरे भारत में योग को बढावा देने की कोशिश कर रहे हैं । इसलिए समाज के सदस्यों को इस अभ्यास के बारे में अधिक सावधानी बरती रहनी चाहिए । हमारी संस्कृति में योगा का एक महत्वपूर्ण स्थान है । यह एक शारीरिक व्यायाम के रूप में या फिर ध्यान केंद्रित करने या ध्यान करने के लिए आसन के रूप में माना जाता है !
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि, समाज के सदस्य और चर्च प्रमुखों को योग पर ध्यान देने और दूसरे आध्यात्मिक आंदोलनों से बचना चाहिए । यह कैथोलिक मान्यता के बिलकुल खिलाफ है । योगा और दूसरे ईसाई-विरोधी प्रथाएं चर्च के आधिकारिक शिक्षाओं को प्रोत्साहित नहीं करती हैं । बहुत सी स्वास्थ्य समस्याओं से निजात पाने के लिए काफी सारे क्रिश्चियन योगा सेशन के लिए जा रहे हैं लेकिन यह प्रथाएं ईसाई-विरोधी विचारों और संस्कृति को बढावा देते हैं । किसी भी समझदार व्यक्ति को ऐसी प्रथाओं को प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए !
स्त्रोत : अमर उजाला