भारत हमेशा से एक धार्मिक और प्राकृति से जुड़ा रहा है जिसकी चर्चा आज भी पुरे विश्व में होती है | भारत के धार्मिक स्थलों का रहस्य लोगों को सोचने पर मजबूर कर देता है, विज्ञान भी रह जाता है दंग ! आज हम बात करेंगे आंध्रप्रदेश के एक ऐसे मंदिर की जहां के रहस्य ने विज्ञान को भी सोचने को मजबूर कर दिया है |
ऋषि अगस्त्य करते थे आराधना
आंध्रप्रदेश में स्थित यागंती उमा महेश्वर मंदिर जो कि कुरनूल जिले में स्थित और यह मंदिर को निर्माण करने वाले ऋषि अगस्त्य है । उन्होंने भगवान शिव की तपस्या की। उनके आशीर्वाद से यह मंदिर का निर्माण हुआ | कहा जाता है की, इस मंदिर के निरम के पूर्व ऋषि अगस्त्य इस स्थान पर पहले भगवान वेंकटेश्वर का मंदिर बनाना चाहते थे। किंतु जब मूर्ति की स्थापना हो रहा थी उसी समय मूर्ति का पैर के अंगूठा टूट गया और स्थापना रोक दी गई |
मंदिर में विरजमान नंदी का भी एक रहस्य है, जिसे देखने लोग दूर दूर से आते है । नंदी के मुख से लगातार पानी गिरते रहता है और आज तक कोई भी पता नहीं कर पाया की यह पानी कहा से आता है । ये भी मनना है की, ऋषि अगस्त्य पहले इस पानी से नहाते थे फिर वो मंदिर में जा कर पूजा करते थे ।
लगातार बढ रहा हैं नंदी का आकार
जहां शिव जी विराजमान होते है वहां नंदी भी विराजमान होते है, ये हम सब ने हर जगह देखा है किंतु इस मंदिर में विराजमान नंदी लगातार बढते दिख रहे है। भारतीय पुरातत्व विभाग के अनुसार मूर्ति हर साल बढ रही है, नंदी का आकार बढने की वजह से मंदिर के संस्थापक एक खम्भे को भी हटा चुके हैं।
इस मंदिर में नहीं आते कौवे
मंदिर परिसर में कभी भी कौवे नहीं आते हैं। ऐसी मान्यता है कि तपस्या के समय विघ्न डालने की वजह से ऋषि अगस्त ने कौवों को यह श्राप दिया था कि अब कभी भी कौवे मंदिर प्रांगण में नही आ सकेंगे।
स्त्रोत : मेधा न्यूज