माघ शुक्ल १० , कलियुग वर्ष ५११४
इस्लामाबाद – पाकिस्तान ने सामरिक नजरिए से काफी अहम ग्वादर बंदरगाह का मैनेजमेंट चीन को सौंप दिया है। बंदरगाह का काम पूरा होने के बाद चीन की नौसेना इसका इस्तेमाल कर सकेगी, जो भारत की सामरिक सुरक्षा के लिए खतरा है। जानकारों का कहना है कि इस बंदरगाह का इस्तेमाल चीनी बेस की तरह होगा।
भारत ने पाकिस्तान के इस कदम पर गहरी चिंता जताई है। भारत के रक्षा मंत्री एके एंटनी ने पिछले 6 फरवरी को कहा था कि पड़ोसी देश के बंदरगाह पर चीन का नियंत्रण चिंताजनक है। हालांकि चीन ने कहा है कि ग्वादर बंदरगाह पर नियंत्रण का मकसद भारत को घेरना नहीं है।
चीन और पाकिस्तान के बीच हुए समझौते के मुताबिक, बलूचिस्तान प्रांत में स्थित यह बंदरगाह पाकिस्तान की प्रॉपर्टी ही रहेगा। इसके ऑपरेशन की कमाई से जो प्रॉफिट होगा, उसमें पाकिस्तान को भी हिस्सा मिलेगा। चीन के लिए ग्वादर का रणनीतिक महत्व है। चीन का 60 % कच्चा तेल गल्फ देशों से आता है। ये देश ग्वादर पोर्ट से नजदीक हैं। सूत्रों ने बताया कि अरब सागर में स्थित इस बंदरगाह के विकास पर आनेवाले 24 करोड़ 80 लाख डॉलर के खर्च का 80% हिस्सा चीन देगा। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने कहा है कि यह स्थान जल्द ही व्यापार और वाणिज्य का गढ़ बनेगा।
भारत को घेर रहा है चीन।
चीन इंटरनैशनल स्तर पर तेजी के साथ अपनी धमक बढ़ा रहा है और इसके लिए वह एशियाई देशों को आधार बना रहा है। खासतौर पर चीन भारत के पड़ोसी देशों में भारी इन्वेस्ट कर रहा है। चीन न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव और म्यांमार की सरकारों पर भी जबरदस्त प्रभाव स्थापित कर चुका है। गौरतलब है कि चीन ने भारत के पड़ोसी देशों श्रीलंका के हंबनटोटा और बांग्लादेश के चटगांव में भी बंदरगाहों के निर्माण में वित्तीय मदद दी है।
स्त्रोत – नवभारत टाईम्स