सांगली : भारत की हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना धर्म, संस्कृति, वेदादी ग्रंथ तथा परंपराआें के आधार से बनी है । भारतपर कुछ शतकोंतक मुसलमान तथा ईसाई आदि आक्रमकों द्वारा कई आक्रमण किए गए; परंतु इस देश के हिन्दू अपनी परंपराएं, धर्म तथा संस्कृति के प्रति एकनिष्ठ रहे । इसके लिए भारत की संत परंपरा भी कारणभूत है । उस समय में संत तुलसीदास, समर्थ रामदासस्वामी, संत तुकाराम महाराज ने हिन्दुआें के मन में राष्ट्र की संकल्पना को जीवित रखा । भारत स्वतंत्र हुआ; परंतु इस देश के आधुनिकतावादी सेक्युलवाद अर्थात धर्मनिरपेक्षता के नामपर हिन्दुआें के इतिहास को विकृत बनाने का अथवा उसे दबाने का प्रयास चला रहे हैं । उसके कारण हिन्दुआें को स्वधर्म के प्रति लज्जा प्रतीत हो रही है और वे स्वयं को ‘सेक्युलर’ कहलाने में अपना सम्मान मान रहे हैं । आजकल पाश्चात्त्य विकृति का समर्थन किया जा रहा है । इस आक्रमण के माध्यम से सैकडों वर्षों से आक्रमणकारियों को जो संभव नहीं हुआ, वे लोग हिन्दुआें के मन की हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना को मिटाने का प्रयास कर रहे हैं । इसे रोकने के लिए धर्माचरण तथा धर्मशिक्षा द्वारा हिन्दू राष्ट्र की प्राचीन संकल्पना को साकार करने हेतु हम सभी को यथाशक्ति योगदान देना चाहिए । हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने यह आवाहन किया । वे २१ अप्रैल को विश्रामबाग के खरे मंगल कार्यालय में हिन्दुत्वनिष्ठों का मार्गदर्शन करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे ।
श्री. शिंदे ने आगे कहा . . .
१. अंग्रेजी कालगणना के अनुसार आज वर्ष २०१८ चल रहा है; परंतु हिन्दुआें ने यदि इसी को ही आधिकारिक माना, तो युगों-युगों से हिन्दुआें की चली आ रही परंपरा को भूल दिया जाता है ।
२. भारत राष्ट्र-राज्य है । संतपरंपरा तथा धर्मपरंपरा के कारण यह राष्ट्र टिका हुआ है । धर्मविरोधियों द्वारा इसीपर आघात करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है । हिन्दुआें को झूठा इतिहास सिखाया जा रहा है तथा धर्मशास्त्र को अंधविश्वास प्रमाणित कर उन्हें मूर्ख बनाया जा रहा है । हिन्दू संस्कृति से कोई संबंध न रखनेवाली ‘लिव इन रिलेशनशिप’ जैसी विकृति को प्रोत्साहित किया जा रहा है । हिन्दुआें को ‘हिन्दूबहुसंख्यक भारत सेक्युलर राष्ट्र है’, ऐसा बताकर उनके साथ धोखाधडी की जा रही है ।
३. भारत स्वतंत्र हुआ; परंतु हमने न्यायतंत्र, शिक्षातंत्र, अर्थव्यवस्था, राज्यव्यवस्था इत्यादि सभी व्यवस्थाआें को अंग्रेजों से आयात किया; इसलिए हिन्दुआें को वास्तव में स्वतंत्रता मिली ही नहीं है । आज भी भारत में अंग्रेजों की गुलामी चल रही है ।
४. एक ओर ‘यह देश सेक्यूलर है’ कहना; परंतु अल्पसंख्यकों ही सभी सुविधाएं उपलब्ध करा देना, यह भारत की स्थिति है । इस देश के बहुसंख्यक हिन्दुआें के स्थान निरंतररूप से हीनता का व्यवहार किया जाता है । हिन्दुआें को पुनः एक बार सम्मान के साथ जीवन जीने के लिए हिन्दू राष्ट्र ही आवश्यक है ।
५. अनेक संतों द्वारा बताए जाने के अनुसार तथा कालमहिमा के अनुसार वर्ष २०२३ में हिन्दू राष्ट्र आने ही वाला है; इसलिए हमारी संख्या अल्प है, इसकी चिंता न करें । जो ईश्वर केवल अपने एक भक्त प्रल्हाद के लिए अवतार लेते हैं, तो हमने भी यदि उनकी उपासना की, तो वे हमारे लिए क्यों नहीं आएंगे ? भगवद्गीता के ‘यतो धर्म स्ततो जयः ।’ इस श्लोक के अनुसार स्वयं को सेक्युलर न मानकर धर्म के अनुसार आचरण करें और उसके कारण ईश्वर निश्चितरूप से हिन्दू राष्ट्र को साकार करेंगे, इसके प्रति आश्वस्त रहें !
स्त्राेत : दैनिक सनातन प्रभात