मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष अष्टमी, कलियुग वर्ष ५११६
लखनऊ – उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री और सपा के कद्दावर नेता मोहम्मद आजम खान मानते हैं कि अयोध्या में मंदिर बन चुका है। शुक्रवार को उन्होंने कहा, “6 दिसंबर, 1992 को मस्जिद ढहा दी गई। ऐसे में वहां मंदिर तो बना ही हुआ है। वहां और क्या बनाना चाहते हैं? बाबरी मस्जिद की शहादत के बाद वह मुद्दा मृतप्राय हो चुका है। वे (बीजेपी) इस मुद्दे को सामाजिक माहौल बिगाड़ने और घृणा फैलाने के लिए जीवित रखना चाहते हैं।”
सूबे के राज्यपाल राम नाईक ने मंदिर के मुद्दे पर कहा है कि मोदी इस मसले पर विचार कर रहे हैं। वे अपने कार्यकाल में ही इस मसले का हल निकाल लेंगे। इस पर आजम बोले, “राज्यपाल इन सब मुद्दों से बड़ा होता है। बोलते-बोलते वह कुछ ऐसा बोल गए, जिससे विवाद खड़ा हो गया है।” हालांकि, जब उनसे यह पूछा गया कि क्या मुस्लिम नेता भी मान चुके हैं कि अयोध्या में विवादित स्थान पर मंदिर बन चुका है तो वह मामले की गंभीरत को समझते हुआ चुप्पी साध गए।
क्या बोले मौलाना
मुस्लिम पर्सनल वक्फ बोर्ड के सदस्य शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद ने आजम खान के बयान पर कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि यदि आजम समझते हैं कि मूर्ति रखने भर से ही मस्जिद मंदिर बन जाती है तो काबे शरीफ में भी मूर्ति रखी जा चुकी है। आजम दरअसल आरएसएस के लिए काम कर रहे हैं। उनके ही एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने यह बयान दिया है।
भाजपा की प्रतिक्रिया
भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने आजम के बयान पर जवाब देते हुए कहा है कि राम मंदिर लोगों की आस्था से जुड़ा मुद्दा है। यह विहिप का आंदोलन है। भाजपा के लिए राजनीतिक मुद्दा नहीं है। यदि आजम खान की नजर में विवादित स्थल पर राम मंदिर बन गया है तो वह पहल करके वहां भव्य मंदिर बनवाने में मदद करें।
बरसे मीडिया पर
आजम ने अपने अंदाज में एक बार फिर मीडिया पर हमला किया। उन्होंने एक टीवी चैनल का नाम लेते हुए कहा कि मैं एयरपोर्ट पर सिर्फ एक चश्मे का डिब्बा लिए हुए था। टीवी पर चलने लगा कि मैं हथियार लिए हुए हूं। ऐसे में मुझ पर हमला हो सकता था। इसीलिए कहता हूं कि मीडिया के कैमरे के लेंस पर डॉलर चढ़े हुए हैं।
स्त्रोत : भास्कर