आज जोधपुर के विशेष न्यायालय ने भले ही प.पू. आसारामबापूजी को दोषी माना होे, तब भी हमारी संविधान प्रदत्त न्यायिक परंपरा के अनुसार यदि कोई कनिष्ठ न्यायालय के निर्णय से असंतुष्ट है, तो वह उच्च न्यायालय में जा सकता है । उच्च न्यायालय के निर्णय के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय में भी जा सकते हैं । इससे पहले भी अनेक लोगों को कनिष्ठ न्यायालय में मिला दंड, उच्च तथा सर्वोच्च न्यायालय ने निरस्त किया है । हमारी न्याय देवता पर श्रद्धा है और इस प्रकरण में उच्च न्यायालय में प.पू. आसारामबापूजी को न्याय मिलेगा, ऐसी आशा है । ऐसा सनातन संस्था द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है ।
आज करोडों हिन्दुआें को भक्तिमार्ग पर लाकर उनका जीवन कृतार्थ करनेवाले, भारतीय संस्कृति की रक्षा हेतु ‘वेलेन्टाईन-डे’ जैसी कुप्रथाआें के विरोध में पूरे देश में बडी मात्रा में ‘मातृ-पितृ दिन’ आयोजित करना, ईसाई पंथ में धर्मांतरित हुए लाखों हिन्दुआें को स्वधर्म में लाना, स्वदेशी वस्तुआें का आग्रह करना, गोसंवर्धन करना, बालसंस्कारवर्ग के माध्यम से भावी पीढी सुसंस्कारित करना आदि अनेक महान कार्य प.पू. आसाराम बापूजी ने किए हैैं । इस कारण वे हिन्दू समाज हेतु आदरणीय ही हैं ।