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बहुसंख्यंकों का धर्म ही राष्ट्रीयता का आधार होना चाहिए ! – सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे

हिन्दू जनजागृति समिति एवं भागवंती सरस्वती विद्या मंदिर के संयुक्त तत्वावधान में चर्चासत्र

उपस्थितों को मार्गदर्शन करते हुए सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी, व्यासपीठ पर बाईं ओर से श्री. सत्यपाल शर्मा, प्रा. रामेश्वर मिश्र एवं डॉ. एम.के. तनेजा

मुजफ्फरनगर (उत्तरप्रदेश) : हिन्दू जनजागृति समिति एवं भागवंती सरस्वती विद्या मंदिर के संयुक्त तत्वावधान में यहां एक चर्चासत्र का आयोजन किया गया था। उसमें हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी संबोधित कर रहे थे। अपने संबोधन में उन्होंने ऐसा प्रतिपादित किया कि, ‘भारत को वैधानिक रूप से हिन्दू राष्ट्र घोषित करना, यह केंद्रशासन का कर्तव्य है; क्योंकि विश्व में बहुसंख्यकों की संस्कृति को ही राष्ट्र का आधार माना गया है। उसीके अनुसार बहुसंख्यंको का धर्म ही राष्ट्रीयता का आधार होना चाहिए। यही विश्व की स्थिति है एवं भारत में भी ऐसा ही होना चाहिए !’

उस समय चर्चासत्र के अन्य मान्यवरों ने भी इस बात पर अधिक बार जोर दिया कि, ‘सनातन धर्म की राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठापना होने के पश्चात ही भारत का सर्वतोपरी उत्कर्ष होगा !’

केंद्र सरकार के भूतपूर्व सांस्कृतिक सलाहगार प्रा. रामेश्वर मिश्र ने कहा कि, ‘‘युरोप का हर राष्ट्र किसी ना किसी ईसाई पंथ का वैधानिक संरक्षक है। हर मुसलमान देश इस्लाम का संरक्षक है एवं बौद्ध देश बौद्ध धर्म का वैधानिक रूप से संरक्षक है। उसी प्रकार भारत सरकार ने भी सनातन धर्म को सुरक्षा देनी चाहिए एवं यहां की शिक्षणव्यवस्था एवं न्यायव्यवस्था में भी सनातन धर्म की परंपराओं का आधार लेकर उसकी रूपरेखा निश्चित की जानी चाहिए !’’

इस चर्चासत्र में श्री. सत्यपाल शर्मा एवं डॉ. एम्. के. तनेजा ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का सूत्रसंचलन श्री. संजीव शर्मा ने किया, तो आभारप्रदर्शन डॉ. प्रीति चौधरी ने किया। इस चर्चासत्र के लिए शहर के नागरिक भी अधिक संख्या में उपस्थित थे !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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