कल्याण : ‘‘साधना करते समय व्यष्टि साधना के साथ ही काल के अनुसार क्षात्रधर्म साधना आवश्यक है । आज धर्मशिक्षा के अभाव में अनेक हिन्दू एवं अन्यपंथियों की ओर से अलग-अलग माध्यम से हिन्दू धर्म की हानि हो रही है । उसके स्वरुप को जानकर उसकी हानि रोकना प्रत्येक साधक का कर्तव्य है । सभी संप्रदायों को अपनी सांप्रदायिक चौखट से बाहर आकर ‘एक हिन्दू’ के रूप में इस राष्ट्र-धर्म उत्थान के कार्य के लिए संगठित होना आवश्यक है ।’’ सनातन की श्रीमती दीक्षा पेंडभाजे ने यहां के भगवा तालाब क्षेत्र के राममंदिर में ऐसा मार्गदर्शन किया । उन्हाेंने ‘हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता एवं व्यष्टि साधना का महत्व’ इस विषय पर प्रवचन किया । ४५ धर्माभिमानियों ने इसका लाभ लिया ।
क्षणिकाएं
१. गोंदवलेकर महाराज के प्रवचन आयोजित करनेवाले हरिभक्त परायण नीलेश महाराज ने अपने प्रवचन से पूर्व आधा घंटा विषय प्रस्तुत करने का अवसर दिया था । विषय प्रस्तुत करने के पश्चात उन्होंने पुनः इस विषय के अनुषंग से वर्तमान समय में किस प्रकार धर्महानि हो रही है, इस विषय में उपस्थित लोगों का मार्गदर्शन किया ।
२. कल्याण पश्चिम के सप्तश्रृंगी मंदिर में स्वामी समर्थ संप्रदाय के साप्ताहिक सत्संग के उपरांत उपस्थित लोगों के समक्ष श्रीमती दीक्षा पेंडभाजे ने प्रवचन किया । ३० धर्माभिमानियों ने इस प्रवचन का लाभ लिया ।
३. यहां आए एक निजी टयुशन लेनेवाले समर्थभक्त जिज्ञासु हिन्दुत्वनिष्ठ ने कहा कि ‘‘आप बीच-बीच में ऐसे विषय आयोजित करने के लिए सत्संग में आते रहें । ऐसी जागृति की बहुत आवश्यकता है । मैंने बच्चों को इस विषय में बताने का प्रयास किया; परंतु ऐसा न करने के लिए एक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन के पदाधिकारियों की ओर से दबाव डाला गया ।’’
४. यहां की समृद्ध सोसाइटी में श्रीमती दीक्षा पेंडभाजे ने सत्यनारायण पूजा के उपलक्ष्य में प्रवचन का आयोजन किया । ४५ धर्माभिमानियों ने इस मार्गदर्शन का लाभ लिया ।
५. हिन्दुत्वनिष्ठ श्री.पुष्कर उपासनी ने इस प्रवचन का सीधे ‘फेसबुक’ से प्रसारण किया । छायाचित्र रेखांकित करने की दृष्टि से पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था के लिए पूछने पर श्री. उपासनी ने प्रकाश की व्यवस्था की ।
डोंबिवली
यहां के स्वामी चिदंबर मठ में ४० धर्माभिमानियों ने श्रीमती दीक्षा पेंडभाजे के प्रवचन का लाभ लिया ।
क्षणिकाएं
१. इस अवसर पर सभी ने कहा कि उन्हें विषय अच्छा लगा । मठ के कमिटी मेंबर ने पुनः आने की विनती की ।
२. इस अवसर पर अन्य स्थान पर प्रवचन आयोजित करने की मांग की गई ।
३. मठ की ओर से श्रीमती दीक्षा पेंडभाजे का सम्मान किया गया तथा मंत्र पढकर उनकी गोद भरी गई ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात