माघ शुक्ल एकादशी , कलियुग वर्ष ५११४
अयोध्या, विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभालने के बाद पहली बार अयोध्या पहुंचे राघव रेड्डी श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण की राह तलाश रहे हैं। यह प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय में लंबित होने के बावजूद विश्व हिंदू परिषद हर हाल में अपने लक्ष्य की प्राप्ति में सफल हो, इसके लिए रेड्डी ने वर्तमान परिस्थितियों में भी मंजिल प्राप्ति पर मंथन तेज कर दिया है। इलाहाबाद कुंभ मेले के दौरान देश भर के संतों द्वारा मंदिर निर्माण में हो रहे विलंब पर चिंता जताने के बाद रेड्डी का यह दौरान संतों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए सभी बाधाओं का दूर करने में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
बुधवार को सायं अयोध्या पहुंचे राघव रेड्डी ने महामंत्री चंपत राय के साथ श्रीरामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला पहुंच मंदिर निर्माण के लिए तराशे गए पत्थरों का निरीक्षण किया। उन्होंने पत्थरों में लग रही काई पर चिंता जताई। उन्हें बरसात व धूल से बचाने का उपाय करने का निर्देश कार्यशाला के प्रभारी अन्नूभाई सोमपुरा को दिया। मंदिर निर्माण के प्रथम तल के पत्थरों की तराशी पूरी होने की जानकारी प्राप्त करने के बाद रेड्डी ने हनुमानगढ़ी पहुंच दर्शन-पूजन कर मंदिर निर्माण का आशीर्वाद मांगा। रेड्डी कनक भवन भी गए और वहां उन्होंने भगवान श्रीसीताराम के मनोहारी विग्रह का भावपूर्ण दर्शन किया। विहिप अध्यक्ष ने चौबुर्जी मंदिर जाकर विहिप महानगर अध्यक्ष व मंदिर के महंत बृजमोहन दास से मंत्रणा की। दर्शन-पूजन के बाद रेड्डी ने मंदिर निर्माण की बाधाओं को दूर करने के लिए आगामी ११ से १९ अप्रैल तक देश के तीन लाख गांवों में होने वाले श्रीरामनाम जप कार्यक्रम पर महामंत्री चंपत राय से चर्चा की। रामलला के अस्थाई मंदिर, आसपास की परिस्थितियों व रामलला के दर्शन मार्ग की कठिनाईयों को करीब से महसूस कर अगली दिशा तय करने के लिए रेड्डी गुरुवार को प्रात: रामलला का दर्शन करने जाएंगे। विहिप अध्यक्ष रेड्डी इसी दिन मणिराम दास जी की छावनी के उत्ताराधिकारी महंत कमलनयन दास व दिगंबर अखाड़ा जाकर महंत सुरेश दास से मंत्रणा कर आशीर्वाद लेंगे। विहिप के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा कि भव्य राममंदिर निर्माण के साथ-साथ अयोध्या की पंचकोसी शास्त्रीय सीमा में मस्जिद बनाने की कोशिश सफल न हो, विहिप इन बिंदुओं को लेकर पूरी तरह सर्तक है। इन समस्याओं ने निपटने के लिए भव्य मंदिर का शीघ्र निर्माण एक मात्र विकल्प है जिसके लिए विहिप अध्यक्ष हर विकल्पों पर पूर्व में हो चुके मंथन की वास्तविक भूमि को तलाश रहे हैं।
स्त्रोत – जागरण