मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष नवमी, कलियुग वर्ष ५११६
न्यूयॉर्क – गाय का दूध गुणकारी है, यह तो सभी जानते हैं, मगर शोधकर्ताओं के शोध ने यह सिद्ध कर दिया है कि गाय के दूध से शिशुओं में एड्स का उपचार भी आसानी से किया जा सकता है। दरअसल एड्स से बचाव और उपचार में प्रयोग की जाने वाली वाली एंटी-रेट्रोवायरल दवाएं पानी में बहुत घुलनशील नहीं होती हैं। लेकिन इन एंटी-रेट्रोवायरल दवाओं से युक्त दूध बच्चों को एचआईवी संक्रमण से बचाने और उपचार में बेहतर मदद कर सकता है।
अमेरिका की पेनसिल्वानिया स्टेट यूनिवर्सिटी में खाद्य विज्ञान के सहायक प्रोफेसर फेटेरिको हार्ट ने बताया, शोधकर्ताओं की एक टीम ने गाय के दूध में एक प्रोटीन की संरचना में फेरबदल कर इसमें एंटी-रेट्रोवायरल दवा को घुलनशील बनाने का नया तरीका खोजा है। नवजात बच्चे अधिकांश एंटी-रेट्रोवायरल दवाएं सहन नहीं कर पाते। एचआईवी से बचाव और उपचार में प्रयोग की जाने वाली सबसे सामान्य दवा रिटोनावीर के बहुत सारे दुष्प्रभाव भी हैं।
प्रोफेसर फेटेरिको हार्ट ने बताया, यह भौतिक-रासायनिक गुण शिशुओं की व्यवस्था को चुनौती देते हैं। इस समस्या को सुलझाने के लिए हार्ट ने गाय के दूध में पाए जाने वाले एक प्रोटीन समूह ‘केसिंस’ पर प्रयोग करके देखा। स्तनपाइयों के दूध में पाए जाने वाले केसिंस प्रोटीन, मां से बच्चे में एमिनो एसिड और कैल्शियम वितरण की प्राकृतिक व्यवस्था है। हार्ट ने सोचा कि यह रिटोनावीर दवा के अणुओं को भी वितरित कर सकते हैं।
दूध को अति-उच्च दाब में समरूप करने से केसिंस के गुणों की बाइंडिंग बढ़ी। हार्ट ने बताया, अणुओं की बढ़ी बाइंडिंग के परिणाम के बाद, हमने माना कि पानी बहुत न घुलने वाली दवा को बच्चों में पहुंचाने के लिए रिटोनावीर युक्त दूध का पाउडर प्रयोग किया जा सकता है।उन्होंने बताया, अभी हम परीक्षण कर रहे हैं और प्रयोग के अंतिम चरणों में हैं, जिसमें हमने सुअर के बच्चों में तीन अलग-अलग प्रयोग किए हैं।
यह शोध ऑनलाइन जर्नल ‘फार्मास्यूटिकल रिसर्च’ में प्रकाशित हुआ।
स्त्रोत : वन इण्डिया हिन्दी