चिकित्सा महासम्मेलनके प्रथम दिवसका अंतिम सत्र
श्री क्षेत्र औदुंबर (जनपद सांगली, महाराष्ट्र) – १४ नवम्बरको सायं समयके अन्तिम सत्रमें अध्यात्म विश्वविद्यालयद्वारा गोमाताके सन्दर्भमें सिद्ध आध्यात्मिक शोधकार्यको प्रस्तुत करते समय हिन्दू जनजागृतिके केंद्रीय समन्वयक श्री. चेतन राजहंसने प्रतिपादित किया कि अध्यात्म विश्वविद्यालयके माध्यमसे हिन्दू धर्मके शास्त्र, विद्या, कला इत्यादिका संवर्धन एवं प्रसार करते समय आवश्यक स्थानपर विज्ञानकी सहायता ली जाएगी । इसलिए अध्यात्म विश्वविद्यालय विविध वैज्ञानिक एवं वैज्ञानिक उपकरणोंकी सहायतासे अध्यात्मके विविध विषयोंपर अद्भुत संशोधन कर रहे हैं एवं उसके पीछे वैज्ञानिक दृष्टिकोण ही है । प.पू. डॉ. आठवलेद्वारा संकलित एवं अध्यात्म विश्व विद्यालयकी बुनियादवाले ग्रन्थ भी वैज्ञानिक परिभाषामें ही हैं । विज्ञान एवं अध्यात्मका गठबंधन कर हिन्दू धर्मका प्रसार करना अध्यात्म विश्वविद्यालयका महत्त्वपूर्ण कार्य रहेगा ।
वर्ष २०२३ में स्थापित होनेवाले ‘हिन्दू राष्ट्र’ एवं धर्मसत्ताका दायित्व संभालने हेतु ब्राह्मतेज एवं क्षात्रतेजसे युक्त पीढी सिद्ध करना अध्यात्म विश्वविद्यालयका मुख्य कार्य रहेगा ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष नवमी, कलियुग वर्ष ५११६
पंचगव्य चिकित्सा महासम्मेलनमें हिन्दू जनजागृति समितिकी ओरसे पू. विशुद्धानंदजी महाराजसे भेंट
हिन्दू सन्त तथा संगठन संगठित होनेके पश्चात देशमें क्रान्त होगी ! – पू. विशुद्धानंदजी महाराज
पू. विशुद्धानंदजी महाराजको समितिके अभियानोंके सन्दर्भमें
जानकारी प्रदान करते हुए समितिके समन्वयक (खडे हुए) श्री. चेतन राजहंस
औदुुंबर (जनपद सांगली, महाराष्ट्र) – १५ नवम्बर – उत्तराखण्डके पू. विशुद्धानंदजी महाराजने ये उद्गार व्यक्त किए कि देशमें गोसंवर्धन तथा गोरक्षाके सन्दर्भमें कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं । इन कार्यक्रमोंके माध्यमसे ये प्रयास किए जा रहे हैं कि सन्त, व्यक्ति तथा संगठन एक ही मंचपर उपस्थति रहें । वर्तमानमें हिन्दू संगठनको अधिक महत्त्व है । हिन्दू सन्त तथा संगठन संगठित होनेके पश्चात देशमें क्रान्ति होगी ।
यहां प्रारम्भ हुए अखिल भारतीय पंचगव्य चिकित्सा महासम्मेलनकी पाश्र्वभूमिपर १४ नवम्बरको हिन्दू जनजागृति समितिके केन्द्रीय समन्वयक श्री. चेतन राजहंस तथा सनातन प्रभातके सहसम्पादक श्री. आनन्द जाखोटिया, समितिके श्री. किरण पोळ तथा सनातनकी ६५ प्रतिशत स्तरकी कु. स्नेहा झरकरने पू. विशुद्धानंदजी महाराजसे सदिच्छा भेंट की । उस समय उन्होंने पू. विशुद्धानंदजी महाराजको समितिके कार्य तथा आयोजित पृथक अभियानोंके सन्दर्भमें जानकारी प्रदान की ।
पू. विशुद्धानंदजी महाराजने बताया कि उत्तराखण्डके पहाडी क्षेत्रमें गोसंवर्धनका कार्य करते समय भ्रष्टाचार, साथ ही ईसाई मिशनरियोंद्वारा हिन्दुओंका धर्मपरिवर्तन इनपर प्रतिबन्ध लगानेका कार्य किया जा रहा है; क्योंकि केवल गोरक्षाका कार्य करनेसे नहीं चलेगा । उस समय उन्होंने उत्तराखण्डमें ईसाई मिशनरियोंद्वारा हो रहे धर्मपरिवर्तनके कुछ उदाहरण भी दिए ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
अद्ययावत
मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष अष्टमी, कलियुग वर्ष ५११६
श्रीक्षेत्र औदुंबर (महाराष्ट्र) में पंचगव्य चिकित्सा महासम्मेलनको उत्साहके साथ आरम्भ
गोहत्या करनेवाली व्यक्तिको देहदंड देनेवाला शासन लाने हेतु प्रयास करना आवश्यक ! – पू. संभाजीराव भिडे (गुरुजी)
सन्तोंकी वंदनीय उपास्थति
बार्इं ओरसे श्री. निरंजनभाई वर्मा, अदृश्य काडसिद्धेश्वर महाराज, पू. विशुद्धानंदजी महाराज,
पू. भिडे गुरुजी एवं पू. विशुद्धानंदजी महाराजके पीछे श्री. आनंद जाखोटिया
हिन्दू जनजागृति समिति पुरस्कृत गोसंवर्धन – सेंद्रिय खेती एवं पंचगव्य चिकित्साके
लाभके साथ मराठी ग्रंन्थोंका प्रकाशन करते हुए मान्यवर
श्री क्षेत्र औदुंबर (जनपद सांगली, महाराष्ट्र) – गोसंवर्धनके लिए पंचगव्य गुरुकुलम्के गव्यसिद्धाचार्य डॉ. निरंजनभाई वर्मा एवं उनके सहयोगियोंके प्रयासोंके विषयमें उन्हें साष्टांग अभिवादन करना चाहिए । स्वतंत्रताप्राप्तिके उपरांत कत्तलखाना बंद करो, ऐसी भूमिका अपनानेवाला राजनेता हमें नहीं मिला । इसलिए गोसंवर्धनका कार्य करते समय ही गोहत्या करनेवाली व्यक्तिको देहदंड देनेवाला शासन लाने हेतु भी प्रयास करना आवश्यक है । हमें केवल भगवे ध्वजका राज्य अपेक्षित है । यदि ऐसा राज्य स्थापित हुआ, तो देशकी सभी समस्याओंका निरसन होगा । इसके लिए छत्रपति शिवाजी महाराजका आदर्श कृतिमें लाना चाहिए, ऐसा मार्गदर्शन श्रीशिवप्रतिष्ठानके संस्थापक पू. संभाजीराव भिडे गुरुजीने किया ।
महर्षि वाग्भट्ट गोशाला एवं पंचगव्य अनुसंधान केंद्रद्वारा प्रतिवर्र्ष राजीव दीक्षितकी जन्मतिथि कालभैरव अष्टमीको पंचगव्य चिकित्सा महासम्मेलनका आयोजन किया जाता है । इस सम्मेलनका आरम्भ १४ नवम्बरको यहांके गोपालनंदन गोशालाके भक्तनिवासमें सवेरे १०.३० बजे गोपूजनसे सभी समस्याओंका निरसन होगा । इसके लिए छत्रपति शिवाजी महाराजका आदर्श कृतिमें लाना चाहिए, ऐसा मार्गदर्शन श्रीशिवप्रतिष्ठानके संस्थापक भिडे गुरुजीने किया ।
महर्षि वाग्भट्ट गोशाला एवं पंचगव्य अनुसंधान केंद्रद्वारा प्रतिवर्ष राजीव दीक्षितकी जन्मतिथि कालभैरव अष्टमीको पंचगव्य चिकित्सा महासम्मेलनका आयोजन किया जाता है । इस सम्मेलनका आरम्भ १४ नवम्बरको औदुंबरके गोपालनन्दन भक्तनिवासमें किया गया । इस अवसरपर वे बोल रहे थे । समारोहका सूत्रसंचालन डॉ. वर्माने किया । इस अवसरपर ८०० गोप्रेमी उपाqस्थत थे । इस समय उत्तराखंडके पू. विशुद्धानंदजी महाराज, कोल्हापुरके कणेरी मठके पू. काडसिद्धेश्वर महाराज, औदुंबरके सरपंच श्रीमती श्वेता बिरनाले, गोपालनंदन गोशालाके श्री. सुहास पाटिल, गव्यसिद्धाचारी श्रीमती डॉ. संगीता, श्री. आनंद जाखोटिया उपस्थित थे ।
आरम्भमें गोपूजन किया गया । इस अवसरपर पू. विशुद्धानंदजी महाराज, पू. काडसिद्धेश्वर महाराज, हिन्दू जनजागृति समितिके केंद्रीय समन्वयक श्री. चेतन राजहंस एवं श्री. आनंद जाखोटिया उपस्थित थे । दिवंगत राजीव दीक्षित तथा पू. तुकारामदादा गीताचार्यकी प्रतिमाका पूजन किया गया ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात