जलजला आए या तूफान आसमान छूता चंद्रोदय मंदिर उसी तरह बेअसर रहेगा जिस तरह हजारों साल से राधा-कृष्ण में लोगों की आस्था अडिग है। 700 फीट की ऊंचाई वाले इस मंदिरा का निर्माण होगा वृंदावन में।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी रविवार को दुनिया के सबसे ऊंचे मंदिर का अनंत शेष पूजा करेंगे। भूकंप और तेज हवाओं से बचाव के उपाय पर कनाडा के विशेषज्ञों द्वारा चार साल तक अध्ययन के बाद इस मंदिर के निर्माण का खाका तैयार किया गया है।
विशेषज्ञों की रिपोर्ट मंदिर का निर्माण करने वाली अमेरिकी कंपनी टीआरसी वर्ल्ड वाई को सौंप दी गई है। हरेकृष्णा मूवमेंट के प्रेसीडेंट और अक्षयपात्र फाउंडेशन के वाइस चेयरमैन चंचलापति दास ने बताया कि भूकंप के दृष्टिगत मथुरा जोन चार में आता है।
मंदिर का निर्माण ऐसे किया जा रहा है कि इस क्षेत्र में आने वाले संभावित तीव्रता के भूकंप का भी उस पर असर न पड़े। बुनियाद निर्माण का काम मुंबई की इंजीनियरिंग कंपनी को सौंपा गया है। यह काम एक साल में पूरा हो जाएगा।
आईआईटी दिल्ली के सिविल इंजीनियर इसका वेरिफिकेशन कर रहे हैं। मंदिर की डिजाइन तैयार करने में ही दो साल लगे हैं। मंदिर के चयनित डिजाइन का कांसेप्ट मधु पंडित दास और भक्तिलता का है।
चंचलापति दास ने बताया कि 700 फीट ऊंचे इस मंदिर का निर्माण चार से छह साल में पूरा होगा।
मंदिर की प्रमुख बातें-
लागत : 300 करोड़
एरिया : 65 एकड़
ऊंचाई : 700 फीट अर्थात 70 मंजिल
अवधि : 5 से 6 साल
पार्क : 28 एकड़ में होंगे वन और उपवन।
आकर्षण : झरना, कृत्रिम यमुना, संग्रहालय।
स्त्रोत : अमर उजाला