नर्इ देहली : दुनिया में जापान की रेलगाडियां अपनी समयबद्धता के लिए जानी जाती हैं । जापान की रेलवे के बारे में कहा जाता है कि रेलगाडियों के आने-जाने से लोग वहां घड़ी की सूइयां मिलाते हैं । हालांकि कभी-कभी जापान में भी तकनीकी या अन्य कारणों से ट्रेनें देरी से भी जाती हैं । मगर भारत की तरह वहां देरी का आंकडा घंटों में नहीं बल्कि कुछ सेकंड या मिनट का होता है । जापान की बुलेट ट्रेन शिन्कासेन का रिकॉर्ड है कि वह कभी ३६ सेकंड से ज्यादा देर नहीं हुई । इसके पीछे जापान की रेलवे की तकनीकी सफलता और कर्मचारियों की काम के प्रति प्रतिबद्धता बताई जाती है ।
देरी पर मिलता है डिले सर्टिफिकेट
जापान में समय का बहुत ख्याल रखा जाता है । सरकारी हो या गैरसरकारी दफ्तर, एक-एक मिनट की देरी भी गंभीर मानी जाती है । अगर कभी किसी स्टेशन पर ट्रेन कुछ सेकंड या मिनट के लिए लेट होती है तो यात्रियों को अगले स्टेशन पर दूसरी ट्रेन छूट जाती है । इससे उनकी देरी का फासला बढ़ जाता है । जिस पर जापानी रेलवे की ओर से यात्रियों को सर्टिफिकेट दिया जाता है । www.japanallover.com की रिपोर्ट में भी डिले सर्टिफिकेट के बारे में उल्लेख है । जब ट्रेन लेट होती है तो स्टेशन पर रेलवे का स्टाफ खडा हो जाता है और वह यात्रियों को डिले सर्टिफिकेट देता है । जिसे यात्री अपने दफ्तर में दिखाते हैं तो उन पर देरी से आने पर कोई कार्रवाई नहीं होती ।
सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हैं अफसर
जापान के रेलवे अधिकारी ट्रेनों के समय से संचालन को लेकर कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह देरी पर सार्वजनिक रूप से स्टेशन पर माफी मांगते हैं । बार-बार माइक से वे खेद जताते हैं । पिछले साल नवंबर में एक ट्रेन स्टेशन से २० सेकंड पहले छूट गई थी तो यात्रियों से रेल अफसरों ने माफी मांगी थी । दरअसल, टोक्यो व राजधानी के उत्तरी इलाके को जोड़ने वाली सुकुबा एक्सप्रेस लाइन पर एक ट्रेन ०९:४४:४० के बजाए ०९:४४:२० बजे खुल गयी । समय से पहले ट्रेन के चले जाने पर कुछ यात्रियों की ट्रेन छूट गई तो अगले स्टेशन पर कुछ यात्रियों को इंतजार करना पडा । इस पर रेल अधिकारियों ने अपनी वेबसाइट पर माफी मांगी । सुकुबा एक्सप्रेस कंपनी ने कहा, ‘यात्रियों को हमारी वजह से परेशानी का सामना करना पडा इसके लिए हमें खेद है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात