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हिन्दुत्व छोडऩे के लिए जब बकरों की तरह काट दिए जाते थे इन्सान !

माघ शुक्ल द्वादशी , कलियुग वर्ष ५११४


चंडीगढ़।आज भले ही जलियां वाला बाग कांड के लिए ब्रिटिश हुकूमत जलालत महसूस कर रही हो लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भारतीयों का इतिहास बलिदान का ही रहा है चाहे वह ब्रिटिश साम्राज्य हो या फिर मुगल काल बलिदान के कई ऐसे किस्से हैं जिन्हें उंगलियों पर गिनाया जा सकता है। औरंगजेब के समय में हिंदुओं पर ऐसा कहर ढाया गया कि धरती कांप उठी और आसमान थराने लगा था। जिहाद के नाम पर हिंदुओं को बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर किया जा रहा था। औरंगजेब की सेना को सरे राह जो भी हिंदु या सिक्ख मिलता उसे हिंदुत्व छोडऩे के लिए बाध्य किया जाता।

इनकार करने पर उसे यातनाएं दी जाती और फिर उसका सिर कलम कर दिया जाता। हिंदुत्व के प्रतीक भाई मतिदास को जब इस बात की खबर हुई कि धर्म परिवर्तन के लिए हिंदुओं को बकरों की तरह काटा जा रहा है तो उन्होंने अन्याय के विरुद्ध अपनी आहुति देने का प्रण किया। नतीजन औरंगजेब की सेना ने उन्हें भी मौत के घाट उतार दिया।

उनके सिर पर आरा चलवा कर उनके शरीर के दो हिस्से कर दिए गए।कहते हैं की प्रतिदिन सवा मन हिंदुओं के जनेऊ की होली फूंक कर ही औरंगजेब भोजन करता था।

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