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चीन का असली रुप : मानसरोवर में डुबकी नही लगाने दे रहा चीन

एक आेर कोलकाता के बीजे ब्लॉक की दुर्गा पूजा को प्रायोजक करनेवाला चीन दूसरी आेर हिन्दुआें की धार्मिक यात्रा में बाधा उत्पन्न कर अपना असली रुप ही दिखा रहा है ! हिन्दुआें, पिछले साल कैलास मानसरोवर यात्रा का मार्ग रोकनेवाले तथा अब कैलास मानसरोवर में डुबकी लगाने से हिन्दुआें को रोकनेवाले इस ढोंगी चीन काे सबक सिखाने के लिए संगठित होकर चीन के वस्तुआें का बहिष्कार करें ! – सम्पादक, हिन्दुजागृति

कैलास मानसरोवर में चीन ने भारत के श्रद्धालुओं को झील में डुबकी नहीं लगाने दी ! श्रद्धालुओं ने आरोप लगाया कि, चीन के अधिकारियों ने उन्हें झील में पवित्र डुबकी लगाने की अनुमति नहीं दी । पीडित यात्रियों के जत्थे का यात्रा के दौरान का फोटो भी सामने आया है । आपको बता दें कि, हर बार की तरह इस साल भी हजारों यात्री कैलास मानसरोवर की यात्रा पर जाएंगे । यह धार्मिक स्थल तिब्बत में है, जिसका रास्ता नेपाल से होकर जाता है । हालांकि, अभी इस मामले पर चीन की ओर से किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं आई है !

कैलास की यात्रा पर निकले श्रद्धालुओं के इस जत्थे ने दावा किया कि चीनी अधिकारियों ने उन्हें पवित्र झील में डुबकी नहीं लगाने दी !

भारत का विदेश मंत्रालय हर साल जून से सितंबर के बीच में इस पवित्र धार्मिक स्थल की यात्रा का आयोजन कराता है । यह यात्रा इस साल ८ जून से शुरू होगी । विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इसी महीने कैलास मानसरोवर यात्रा को लेकर चीन के विदेश मंत्री वांग यी से वार्ता की थी, जिस पर चीन ने नाथूला दर्रा खोला था ।

८ मई को विदेश मंत्री ने इस संबंध में घोषणा भी की थी । उन्होंने कहा था कि भारत के साथ विचार-विमर्श के बाद नाथूला पास को फिर से चीन ने खोल दिया है । बकौल स्वराज, “मैंने चीनी विदेश मंत्रालय से कहा था कि दोनों देशों की सरकारों के बीच संबंध तब तक नहीं सुधरेंगे, जब तक लोगों से लोगों तक के संबंधों में परिवर्तन नहीं लाया जाएगा । नाथूला पास को पिछले साल यात्रा के दौरान बंद कर दिया गया था । मुझे खुशी है कि दोबारा इसे यात्रा के लिए खोला गया है !”

बता दें कि डोकलाम विवाद के बाद चीन ने कैलास मानसरोवर यात्रा जानेवाले भारतीय श्रद्धालुओं के लिए नाथूला पास को बंद कर दिया था । सुषमा स्वराज ने उसी के बाद चीन के समकक्ष से बात की थी । विदेश मंत्रालय के अनुसार, १५८० श्रद्धालु इस साल कैलास की यात्रा पर रवाना होंगे । ये जत्थे दो रूट से यात्रा पर जाएंगे, जिनमें सिक्किम का नाथूला दर्रा और उत्तराखंड का लिपुलेख दर्रा शामिल है । यह यात्रा चार महीने तक चलेगी !

स्त्रोत : जनसत्ता

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