स्वतंत्रतादिवस विशेष
सद्गुरुदेव प.पू. आचार्य स्वामी श्री धर्मेंद्र महाराज, श्रीपंचखंडपीठजीके पावन परिवारके जून २००९ की पत्रिकामें ‘महात्मा रामचंद्र वीरका निर्वाण अखंड भारतके स्वप्नका अवसान’ इस लेखके चुने हुए कुछ मुद्दे हमारे पाठकोंके लिए शब्दशः प्रकाशित कर रहे है ।
‘राष्ट्रगान’ का अवमान करनेका अधिकार किसीको नहीं है – सर्वोच्च न्यायालयका प्रतिपादन
सर्वोच्च न्यायालयने फिल्म निर्माता निर्देशक रामगोपाल वर्माकी भर्त्सना करते हुए कहा है कि, किसीको भी ‘राष्ट्रगान’से छेडछाड करनेका अधिकार नहीं है । याचिकाकी सुनवाईके समय कहा कि, फिल्मके एक गीतमें राष्ट्रगानकी प्रत्येक पंक्तिको गलत सिद्ध करनेकी कोशिश की गई है ।
यदि ‘राष्ट्रगान’के साथ छेडछाड अपराध है, तो राष्ट्रके साथ छेडछाडको क्या कहा जाएगा ? बंकिमचंद्रजीके ‘वंदे मातरम्’में भारतके आध्यात्मिक, तो नेहरूजीके कांग्रेसद्वारा निर्धारित किए ‘राष्ट्रगान’में भौगोलिक वर्णन किया जाना
बंकिमचंद्रजीद्वारा लिखित ‘वंदेमातरम्’ में भारतका आध्यत्मिक वर्णन है; भौगोलिक स्वरूप नहीं, जबकि जवाहरलाल नेहरूकी कांग्रेसद्वारा निर्धारित ‘वंदेमातरम्’ के स्थानापन्न ‘राष्ट्रगान’ में प्रारंभमें ही भारतका भौगोलिक विस्तार निश्चित कर दिया गया है ।
भारतका ‘भाग्यविधाता’ ऐसा जयघोष करनेवाले नेहरूद्वारा ही
भारतकी भौगोलिक प्रतिमाको खंड-खंड कर दिया जाना
वंदेमातरमकी आध्यात्मिक आस्थाके प्रति भले ही नहीं,‘जन-गण-मन’की भौगोलिक प्रतिमाके प्रति तो जवाहरलाल और उसकी अनुवर्तिनी कांग्रेसको प्रतिबद्ध एवं दृढनिष्ठ रहना चाहिए था, किंतु ‘राष्ट्रगान’ में भारतके भाग्य विधाताकी जय घोषणा करनेवाले जवाहारलालने ही भारतकी भौगोलिक प्रतिमाको खंड- खंड कर दिया ।
राष्ट्रगानमें वर्णित प्रदेश वर्तमानमें भारतका भाग नहीं हैं,
इस वास्तविकताका ‘राष्ट्रगान’ गानेवाले प्रत्येक देशभक्त भारतीयको आहत कर देना
यह वास्तविकता ‘राष्ट्रगान’ गाने वाले प्रत्येक देश भक्त भारतीयको प्रारंभमें ही आहत कर देती है कि राष्ट्रगानके प्रारंभमें वर्णित सिंध कहां है ? पंजाबकी गौरवमयी नगरी लाहौर कहां है ? बंकिमचंद्र जन्मभूमि पूर्वी बंगाल कहां है ? तिलहट, ढाका और चटगांव कहां हैं ? क्या पश्चिममें रावलपिंडी, बन्नू, कोहाट, सक्खर, सीमाप्रांत, बलुचिस्तान, पेशावर और लाहौरके बिना या सिंधु सतलज, बियास (व्यास) एवं रावी और पूर्वमें गंगाकी शाखा पद्माके बिना ‘राष्ट्रगान’ में वर्णित भारतकी अखंड प्रतिमाकी कल्पना की जा सकती है ?
राष्ट्रकी हत्या करनेवालोंके वंशका सर्वोच्च सत्तासुखका उपभोग करना
और राष्ट्रहत्याको मौन स्वीकृति देनेवाला ‘राष्ट्रपिता’ कहलाकर पूजा जाना
राष्ट्रगानका अपमान करनेवाले रामगोपाल वर्मा यदि दंडनीय है, तो राष्ट्रकी हत्या करनेवाले वंदनीय कैसे हो गए ? राष्ट्रहत्याको मौन स्वीकृति देनेवाले गांधी ‘राष्ट्रपिता’ बना कर पूजे जा रहे हैं और प्रत्यक्ष भारत-भंग के अपराधी नेहरूका परिवार राजवंश बना पीढी-दर-पीढी सर्वोच्च सत्तासुख भोग रहा है ?
गांधी-नेहरूके राष्ट्रघातसे कोई भी भारतीय व्यथित न होना
और इस कारण गांधीकी आंधीमें अंधे हिंदुओंका सर्वनाश होना
इस भीषण राष्ट्रघातसे व्यथित होनेवाले महामना मदनमोहन मालवीय, देवतास्वरूप भाई परमानंद और श्यामप्रसाद मुखर्जी इनमेंसे आज कोई जीवित नहीं है । यह भीषण राष्ट्रघात एक अरब भारतीयोंमें से किसीको भी व्यथित नहीं करता । इस कारण गांधीकी आंधीमें अंधे बने मूर्ख हिंदुओंकी भावी पीढीका सर्वनाश हो रहा है ।’