मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष दशमी, कलियुग वर्ष ५११६
पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) की मौजूदगी के संकेत ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) और खुफिया एजेंसी आईबी व रॉ इस बात से चिंतित हैं कि आईएस की पैठ से पाकिस्तान और अमेरिका को नए सिरे से संबंध बनाने का ठोस आधार मिल गया है।
इसका मतलब यह लगाया जा रहा है कि आईएस से लड़ने के नाम पर अमेरिका पाकिस्तान को नए सिरे से हथियार और धन मुहैया करा सकता है। एजेंसी के मुताबिक यह कवायद शुरू भी हो चुकी है। पाक सेना अध्यक्ष जनरल राहिल शरीफ की इस हफ्ते शुरू हो रही अमेरिका यात्रा इसी कवायद का हिस्सा है।
सूत्रों के मुताबिक एनएसए अजीत डोभाल सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर नए हालात से निबटने का ब्लू प्रिंट तैयार कर रहे हैं। पाकिस्तान मामलों से जुड़े सुरक्षा एजेंसी के उच्चपदस्थ अधिकारी ने बताया कि ऐबटाबाद में अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के खात्मे के बाद यह पाक जनरल की पहली अमेरिका यात्रा है। अगर पाकिस्तान आईएस का डर दिखाकर अमेरिका को धन और हथियार देने के लिए मना लेता है तो यह पूरे भारतीय उपमहाद्वीप का सैन्य संतुलन बिगाड़ देगा। आईएस की लगातार बढ़ती ताकत और पाकिस्तान में उसकी मौजूदगी कश्मीर के लिए भी बड़े खतरे की घंटी है।
अधिकारी के मुताबिक पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई आईएस के पाक धड़े को भारत के विरोध में उसी तरह इस्तेमाल करेगा जैसा उसने जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-ताइबा का किया था। सूत्रों ने बताया कि अमेरिकी सरकार आईएस को लेकर शांत नहीं बैठने वाली। वह पाकिस्तान को आईएस की काट के लिए हर सुविधा मुहैया करा सकती है।
उधर पाकिस्तान इन सुविधाओं को अपने एजेंडे के अनुसार इस्तेमाल करेगा। अधिकारी ने बताया कि पूर्व सोवियत संघ की सेना को अफगानिस्तान से भगाने के लिए अमेरिका ने पाकिस्तान को अरबों रुपये दिए थे। तब पाकिस्तान ने उस धन से अफगानी कबीलाई सेना तैयार करने के साथ अपने एटम बम की योजना को मूर्त रूप दे दिया। उसके बाद अल कायदा और तालिबान के नाम पर भी अमेरिका पाक को धन और हथियारों की खेप देता रहा। बिन लादेन के पाकिस्तान में मिलने के बाद अमेरिका ने सख्ती तो दिखाई लेकिन पाकिस्तान उसके लिए अभी भी सुरक्षित सहयोगी है।
स्त्रोत : अमर उजाला