परिवाद करनेवाली महिला को पुलिस अधिकारी का उपदेश – ‘युवक हमारी बात नही सुनता, अघटित घटने के पश्चात १०० क्रमांक पर संपर्क करें !’
यदि पुलिस अन्य अपराधियों की मानसिक अवस्था ठीक करते हैं, तो बिलिवर्सवालों की क्यों नहीं करते ? अघटित घटने के पश्चात संपर्क करें, ऐसे बतानेवाली पुलिस नहीं, अपितु अघटित बात घटे ही नहीं, ऐसी उपाय योजना करनेवाली पुलिस की आवश्यकता है ! – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात
पेडणे : बिलिवर्सवालों के प्रभाव के कारण धर्मांतरित हुए मुरमुसे के राजेश कलशावकर ने उसके भार्इ श्री. विराज को उसके घर के बाहर होनेवाला पुरखों से चला आ रहा तुळशीवृंदावन तोडकर वहां बलपूर्वक क्रॉस लगाने की धमकी दी है ! इस संदर्भ में श्री. विराज कलशावकर एवं उनकी पत्नी श्रीमती वैभवी कलशावकर ने राजेश कलशावकर के विरोध में पुलिस में परिवाद प्रविष्ट किया था । तत्पश्चात पुलिस ने ३० मई को इन दोनों पक्षों को पुलिस थाने में बुलाया था । उनके साथ विचारविमर्श करने के पश्चात पुलिस अधिकारी ने परिवादी श्रीमती वैभवी विराज कलशावकर को कहा कि, संदेहित राजेश कलशावकर हमारी बात सुनने की स्थिति में नहीं है, उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है । अतः इस के पश्चात घर में कुछ अघटित घटने के पश्चात १०० क्रमांक पर परिवाद प्रविष्ट करें !’ (पुलिस की बात भी न माननेवाले ये बिलीवर्सवाले क्या राज्य के कानून एवं सुव्यवस्था के लिए धोखादायक नहीं हैं ? राज्य की शांति अबाधित रहें, इसलिए पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करने की आवश्यकता थी ! – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात)
संदेहित राजेश कलशावकर एक पुलिस कर्मचारी है एवं वह पुलिस विभाग के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का वाहक है । प्रारंभ में संदेहित राजेश कलशावकर पुलिस थाने में आने के पश्चात पुलिस अधिकारी के सामने शोरगुल मचाने लगा । उस समय उसने मुरमुसे, पेडणे के पुरखों से चले आ रहे घर के सामने होनेवाला तुलसी वृंदावन तोडकर वहां बलपूर्वक क्रास लगानेवाला हूं, इस बात को दोहराया ! पुलिस अधिकारी ने संदेहित राजेश कलशावकर को समझाने का प्रयास किया; किंतु वह सुनने की अवस्था में नहीं था । अतः पुलिस अधिकारी ने परिवादी श्रीमती वैभवी कलशावकर को ही उपर्युक्त सलाह दी ! (ऐसे हाथ पर हाथ धरे बैठे पुलिस नागरिकों की रक्षा करने में असमर्थ हैं ! अतः हिन्दूत्वनिष्ठों को ही अब आगे आकर समस्या का निराकरण करना अनिवार्य हुआ है ! – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात