सप्तम ‘अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन’ अंतर्गत हिन्दू विधिज्ञ परिषद आयोजित राष्ट्रीय ‘अधिवक्ता अधिवेशन’ : उद्बोधन सत्र
हिन्दुत्व के कार्य में हिन्दुत्वनिष्ठ अधिवक्ताआें की आवश्यकता स्पष्ट करते हुए सुनील घनवट ने कहा कि,
१. संभाजीनगर में पिछले महीने में हुर्इ हिंसा में हिन्दुत्वनिष्ठों पर अपराध प्रविष्ट किए गए । इसी के साथ मलकापुर (जिला बुलढाणा) में हुर्इ हिंसा में २० धर्मांध अधिवक्ताआें ने धर्मांधों की सहायता की; परंतु उनके विरुद्ध कोई भी अपराध प्रविष्ट नहीं किया गया ।
२. कर्नाटक के गोरक्षक पशुवधगृह में गाेमाताआें को ले जानेवाली ट्रक को पकडकर पुलिस थाने ले गए । वहां पुलिस ने गोरक्षकों से ही प्रश्न किया कि, किस धारा के अंतर्गत इनपर अपराध प्रविष्ट करें ? इस पर हिन्दुत्वनिष्ठों के पास कोर्इ उत्तर नही था । उत्तर न देने के कारण पुलिस ने गोरक्षकों पर ही अपराध प्रविष्ट किया ।
३. सातारा के पुलिस थाने में शिकायत प्रविष्ट करने गए हिन्दुत्वनिष्ठों को ४-५ घंटे पुलिस थाने में बिठाया गया । शिकायत प्रविष्ट करने में विलंब किया जा रहा था । तब हिन्दुत्वनिष्ठों ने एक अधिवक्ता से संपर्क किया । फोन पर अधिवक्ता की पुलिस से बात होने पर तुरंत पुलिस ने हिन्दुत्वनिष्ठों की शिकायत प्रविष्ट की । क्योंकी पुलिस के ध्यान में यह बात आर्इ कि, ये हिन्दुत्वनिष्ठ अकेले नही है उनके पास अधिवक्ता भी है ।
हिन्दुत्वनिष्ठों को कानून की पूरी जानकारी न होने के कारण उन्हें हिन्दुत्व का कार्य करते समय इस प्रकार के अनेक प्रसंगों का सामना करना पडता है । ऐसे में हिन्दुत्वनिष्ठों को धर्मप्रेमी अधिवक्ता कानूनी मार्गदर्शन कर सहायता करें ।