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व्यवस्था को व्यवस्था के अनुसार ही चलने देने के लिए बाध्य करना, अधिवक्ताओं का कर्तव्य है ! – अधिवक्ता श्री. कमलेशचंद्र त्रिपाठी, वाराणसी

हिन्दू विधिज्ञ परिषद आयोजित राष्ट्रीय ‘अधिवक्ता अधिवेशन’ : राष्ट्र एवं धर्म रक्षा हेतु अधिवक्ता संगठनों द्वारा किया कार्य

गोवा संपन्न हो रहे अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के अंतर्गत चल रहे दो दिवसीय अधिवक्ता अधिवेशन में इंडिया विथ विज्डम ग्रुप के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता श्री. कमलेशचंद्र त्रिपाठीजी ने  प्रशासन द्वाराअल्पसंख्यंकों का होनेवाला तुष्टीकरण के विषय में अपने अनुभव बताते हुए कहां कि, व्यक्तिगत हित की अपेक्षा सार्वजनिक हित अधिक महत्त्वपूर्ण है ! वाराणसी में कलम १४४ लागू होने के पश्चात भी कुछ धर्मांध संगठनों ने आंदोलन किए । इस संदर्भ में प्रशासन से पुछने पर ध्यान में आया कि उन्होंने धर्मांधों के आंदोलन को अनुमति नहीं दी है ! आंदोलन के संदर्भ में मुसलमानों ने केवल आवेदन दिया था; परंतु प्रशासन ने उसे स्वीकृति नहीं दी थी ! इसका पता चलने पर कानून का उल्लंघन करनेवालों पर कार्रवाई करने के लिए बार-बार कहा गया । उस पर प्रशासन ने पिछली तारिख डालकर ‘आंदोलन को प्रशासकीय अनुमति थी’, ऐसे दर्शाया ! इससे समझ में आता है कि ‘प्रशासन में किस प्रकार से व्यवस्था चलाई जाती है !’

अवैध मस्जिद गिराने के लिए टालमटोल करनेवाला; परंतु हिन्दुओं का मंदिर गिरानेवाला हिन्दूद्वेषी प्रशासन !

रास्ते पर होनेवाला प्रार्थनास्थल हटाने के संदर्भ में भी प्रशासन की दोहरी नीति का अनुभव हुआ ! वाराणसी में यातायात में बाधा आती है, इस कारण रास्ते के किनारे होनेवाला एक प्रार्थनास्थल गिराने का निर्णय हुआ । फिर हमने रास्ते के किनारे होनेवाली एक अवैध मस्जिद गिराने के लिए निरंतर प्रयास किया; किंतु इसके लिए मात्र प्रशासन टालमटोल कर रहा था ! यह धार्मिक आस्था का विषय है, ऐसा कहते हुए जिला प्रशासन ने अवैध मस्जिद हटाने में असमर्थता दर्शायी ! मात्र उसी समय नवरात्रि में रास्ते के किनारे स्थित मरिआई का एक प्राचीन मंदिर प्रशासन ने बडी मात्रा में पुलिस बुलवाकर तोड डाला !

इससे हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हो गई ! इसलिए उसके विरोध में कार्रवाई करने के लिए हमने प्रयास आरंभ किया । परिणामस्वरुप १०८ मंदिर गिराने का अपना विचार प्रशासन ने रहित ही किया !

व्यवस्था को व्यवस्था के अनुसार ही चलने देने के लिए बाध्य करना, अधिवक्ताओं का कर्तव्य है ! इसलिए उन्होंने कहीं भी कुछ अनुचित हो रहा हो, तो उसका वैधानिकरूप से प्रतिकार करने के लिए प्रयास करने चाहिए !

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