गोवा (विद्याधिराज सभागृह) : यहां श्री रामनाथ देवस्थान के श्री विद्याधिराज सभागृह में आयोजित दो दिवसीय ‘राष्ट्रीय अधिवक्ता अधिवेशन’ के प्रथम दिवस के द्वितीय सत्र में उपस्थित अधिवक्ताआें को अपना अनुभव बताते हुए अधिवक्ता वासुदेव ठाणेदार कहां कि, सितंबर २००९ में गणेशोत्सव काल में शिवसेना द्वारा लगाए गए स्वागत-द्वार पर अल्पसंख्यकों ने आपत्ति जताते हुए पथराव किया, जिसके कारण आगे बहुत बडा दंगा हो गया । उस समय तत्कालीन विधायक श्री. चंद्रकांत पाटील एवं श्री. सुरेश खाडे के नेतृत्व में हिन्दुआें का बडा मोर्चा निकाला गया । इस मोर्चे को पुलिस ने रोका और १५० हिन्दुआें को बंदी बनाया । जब मुझे यह पता चला, तब मैं तत्काल ३५ अधिवक्ताआें को एकत्रित कर पुलिस थाने गया । विशेष बात यह है कि ये सभी अभियोग हम सभी अधिवक्ता निशुल्क लड रहे हैं ।
मीरज दंगों के समय ६०० से अधिक लोगों को बंदी बनाया गया । इनमें से अधिकांश हिन्दू थे । हिन्दुआें पर इन अन्यायकारी अभियोगों के संदर्भ में हम हिन्दू अधिवक्ताआें ने कामकाज का विकेंद्रीकरण किया । इसमें एक अधिवक्ता जमानत कराता, दूसरा कागदपत्र एकत्र करता, तीसरा न्यायालय में पक्ष रखता, इस प्रकार कार्य करने से अभियोगों में सुसूत्रता आई और हिन्दुआें को शीघ्र सहायता मिल सकी ।