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कानून की मदद से संघर्ष कर धर्मांधोंद्वारा अधिकार में लिया गया मंदिर पुन: प्राप्त किया ! – अधिवक्ता श्री. अवधेश राय, उत्तरप्रदेश

हिन्दू विधिज्ञ परिषद आयोजित राष्ट्रीय ‘अधिवक्ता अधिवेशन’

अधिवक्ता श्री. अवधेश राय

गोवा (विद्याधिराज सभागृह) : यहां श्री रामनाथ देवस्थान के श्री विद्याधिराज सभागृह में आयोजित दो दिवसीय ‘राष्ट्रीय अधिवक्ता अधिवेशन’ के प्रथम दिवस के द्वितीय  सत्र में उपस्थित अधिवक्ताआें को संबोधित करते हुए प्रयाग (इलाहाबाद) के अधिवक्ता श्री. अवधेश राय ने कहां कि, गांव में एक मंदिर था। उसे धर्मांधों ने अवैधानिक मार्ग से अपने अधिकार में ले लिया था और मुगलकाल में उन्हें दरगाह और मस्जिद का स्वरूप दिया गया। यह वास्तु मंदिर ही है, यह सिद्ध करने के लिए बडा संघर्ष करना पडा !

इस प्रकरण को स्थानीय काँग्रेसी नेताओंद्वारा हिन्दू-मुसलमान, इस प्रकार जातीय रंग देने का प्रयत्न किया गया। उन्होंने पुलिस-प्रशासन से संपर्क कर कहा कि उस स्थान पर बडे जातीय दंगे होनेवाले हैं ! तदुपरांत भारी संख्या में पुलिस दल उस स्थान पर पहुंच गया। इस प्रकरण में स्थानीय हिन्दुओं ने भी मेरी सहायता नहीं की !

कुछ समय पश्‍चात यह प्रकरण शांत होने पर मुसलमानों से मैंने लिखित स्वरूप में लिया कि, ‘वह स्थान हमारा धर्मस्थल नहीं है !’ इस संदर्भ में पत्रकार परिषद ली। तदुपरांत यह विषय प्रसिद्धिमाध्यमों ने उठाया और कांग्रेसी नेता ने उस विषय को कैसे भडकाया था, यह उजागर किया ! तदुपरांत नवमी के दिन श्री हनुमान की मूर्ति वहां प्रकट हुई। उसकी प्राणप्रतिष्ठा की गई।

क्या इसे न्याय कहा जा सकता है ?

एक प्रकरण में इलाहाबाद उच्च न्यायालयद्वारा एक अवैध मस्जिद को गिराने का आदेश दिया। यह प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय में जाने के उपरांत सर्वोच्च न्यायालय ने स्थानीय प्रशासन और सरकार से पूछा कि उस मस्जिद के लिए पर्यायी भूमि मिल सकती है क्या ? उच्च न्यायालय मस्जिद के अवैध होने से उसे गिराने का आदेश देती है, तो सर्वोच्च न्यायालय उसके लिए पर्यायी भूमि ढूंढने के आदेश देती है !

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