भारत शासन इस्लामी कट्टरतावादियों के अत्याचारों से बांग्लादेशी हिन्दुआें की रक्षा करे – अॅड. रवींद्र घोष, अध्यक्ष, बांग्लादेश माइनॉरिटी वॉच, बांग्लादेश
रामनाथी, गोवा : बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुआें और उनकी धार्मिक संस्थाआें पर अत्याचार हो रहे हैं । बांग्लादेश सरकार ‘वेस्टेड प्रॉपर्टी’ जैसे कानून द्वारा हिन्दुआें की संपत्ति हडप रही है । बांग्लादेश के संविधान के ५ वें संशोधन में जोडे गए धार्मिक वाक्य हटाने पर ही अल्पसंख्यक हिन्दू वास्तविक नागरिक के रूप में चुनाव प्रक्रिया में भाग ले पाएंगे । भारत के मोदी शासन को बांग्लादेश के हिन्दुआें की इस्लामी कट्टरतावादियों के अत्याचारों से रक्षा करनी चाहिए । भारत की ही भांति बांग्लादेश सरकार अल्पसंख्यक मंत्रालय की अथवा अल्पसंख्यक आयोग की अथवा दोनों की स्थापना करे । झूठे समाचार फैलाकर लक्ष्य किए जा रहे हिन्दू अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा होनी चाहिए । बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को योजनाबद्ध रूप से समाप्त किया जा रहा है । पूरे संसार के सूज्ञ नागरिक विशेषत: मोदी शासन इस ओर ध्यान दे, जिससे हाथ पर हाथ रखकर बैठी बांग्लादेश सरकार पर कोई परिणाम हो, ऐसा आवाहन बांग्लादेश की ‘बांग्लादेश माइनॉरिटी वॉच’ के अध्यक्ष अधिवक्ता रवींद्र घोष ने किया । वे सप्तम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के निमित्त रामनाथी देवस्थान में आयोजित पत्रकार परिषद में बोल रहे थे । इस समय निखिल बंग नागरी महासंघ के प्रधान सचिव श्री. सुभाष चक्रवर्ती, ओडिशा के भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री. अनिल धीर एवं हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे उपस्थित थे ।
‘बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिन्दुआें की दुर्दशा एवं भारत शासन से अपेक्षा’ इस विषय पर आयोजित इस पत्रकार परिषद में अधिवक्ता घोष ने प्रोजेक्टर पर बांग्लादेश के हिन्दुआें पर हो रहे अत्याचारों के प्रत्यक्ष वीडियो दिखाकर, तडप से हिन्दुआें की व्यथा पत्रकारों के सामने रखी ।
बांग्लादेशी हिन्दुआें के लिए ५० सहस्र ३०४ चौरस कि.मी. क्षेत्रफल के नवीन बांग्लादेश की निर्मिति की जाए ! – सुभाष चक्रवर्ती
इस समय श्री. सुभाष चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘आज बांग्लादेश से हिन्दुआें को बडी संख्या में निर्वासित किया जा रहा है । ‘शत्रु संपत्ति’ के नाम पर हिन्दुआें की २ लाख २० सहस्र एकड भूमि नीलाम कर, उसे बेचने का षड्यंत्र बांग्लादेश की शेख हसीना सरकारने रचा है । ऐसी परिस्थिति में बांग्लादेश से विस्थापित हिन्दुआें को भारत में शरणार्थी का दर्जा दिया जाए । बांग्लादेश के हिन्दुआें की सभी समस्याआें का स्थायी समाधान निकालने के लिए बांग्लादेशी हिन्दुआें के लिए 50 सहस्र 304 चौरस कि.मी. क्षेत्रफल के नए बांग्लादेश की निर्मिति की जाए ।’’
पूरे संसार के हिन्दुआें की रक्षा होने हेतु सरकार को कदम उठाना चाहिए ! – रमेश शिंदे, हिन्दू जनजागृति समिति
म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमान और बांग्लादेशी घुसपैठियों के संबंध में भारत सरकार की नीतियां स्पष्ट नहीं हैं । रोहिंग्या मुसलमानों ने म्यांमार में ९९ हिन्दुआें की हत्या करने की घटना के उपरांत वास्तव में गंभीरता से ध्यान देना आवश्यक है । दूसरी ओर भारत में अवैध वास्तव्य करनेवाले बांग्लादेशी मुसलमान देश की व्यवस्था को खोखला बना रहे हैं । भारत के टुकडे करने का षड्यंत्र रचनेवाले रोहिंग्या मुसलमान और बांग्लादेशी घुसपैठियों का खरा स्वरूप जानकर उन्हें भारत से वापस लौटा दिया जाए । इसके साथ ही बांग्लादेश के हिन्दुआें पर होनेवाले अनन्वित अत्याचारों से उनकी रक्षा हो, इसके लिए भारत सरकार को उनका समर्थन करते हुए संरक्षण की स्वीकृति देनी चाहिए । उसीप्रकार जगभर के हिन्दुआें की रक्षा होने हेतु सरकार को कदम उठाने चाहिए, ऐसी एकजुट मांग हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने इस अवसर पर की ।
सभी शरणार्थियों को आश्रय देने के संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव पर भारत सरकार हस्ताक्षर न करे ! – अनिल धीर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारत रक्षा मंच
भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री. अनिल धीर बोले, ‘‘पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत में आनेवाले शरणार्थी हिन्दुआें को नागरिकता देने के लिए भारत सरकार कानून बनानेवाली है । इस संदर्भ में अध्ययन करनेवाली संसद की ‘संयुक्त संसदीय समिति’पर कुछ गुट दबाव डालकर, इसमें पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शिया और अहमदिया मुसलमान तथा म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों का समावेश करने का प्रयास कर रहे हैं । भारत हिन्दुआें की भूमि है, इसलिए यहां अन्य पंथियों को न बसाया जाए । साथ ही इस कानून में अन्य देशों के साथ ही म्यांमार और श्रीलंका से विस्थापित हिन्दुआें का भी समावेश किया जाए ।
शरणार्थी हिन्दुआें को 2 वर्षों में नागरिकता के साथ घर, नौकरी, पाठशाला, स्वास्थ्य एवं अधिकोष के खाते आदि सुविधाएं दी जाएं । शरणार्थियों को आश्रय देने के संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव पर भारत सरकार हस्ताक्षर न करे ।’’